यह ख़बर 10 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

'मर्दो की सभा' बनी मिजोरम विधानसभा

आइजोल:

मिजोरम में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में एक भी महिला चुनाव जीतने में सफल नहीं हो पाई। इतना ही नहीं, पिछले दो दशकों से मिजोरम में कोई महिला विधायक चुनकर नहीं आई है।

25 नवंबर को हुए मतदान में 142 प्रत्याशी मैदान में थे। प्रत्याशियों में केवल छह महिलाओं को ही विभिन्न दलों ने प्रत्याशी बनाया था। चुनाव का परिणाम सोमवार को घोषित किया गया।

कांग्रेस और मुख्य विपक्षी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने एक-एक महिला प्रत्याशी दिया था, जबकि तीन महिलाएं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से मैदान में उतरी थीं। एक महिला स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में उतरी।

कांग्रेस की महिला शाखा की अध्यक्ष तलांगथनमावी और एमएनएफ की लालमालस्वामी को प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के पुरुष प्रत्याशियों ने पराजित कर दिया।

भाजपा की तीन महिला प्रत्याशियों को नाममात्र के वोट मिले, जबकि एकमात्र निर्दलीय महिला प्रत्याशी बी सांगखुमी भी चुनाव हार गई। सांगखुमी मिजो हमेइच्छे इन्सुईहखवम पावल या मिजो वूमन फेडरेशन की पूर्व अध्यक्ष हैं।

40 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए हुए चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस ने 33 सीटें जीती ली हैं। पिछली विधानसभा में उसे इससे एक सीट कम मिली थी। विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट को पांच और मिजोरम पीपुल्स कान्फ्रेंस को एक सीट पर सफलता मिली है।

एक मतदान केंद्र पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी के कारण लवंगतलाई पूर्वी विधानसभा क्षेत्र का परिणाम रोका गया है। इस क्षेत्र में भी कांग्रेस को प्रभावी बढ़त है।

मिजोरम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्विनी कुमार ने कहा, "कोई भी महिला विधानसभा चुनाव में इस बार नहीं जीत सकी।"

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अधिकारी ने कहा, "कांग्रेस और एमएनएफ ने भारी-भरकम प्रतिद्वंद्वी पक्ष के खिलाफ अपनी महिला प्रत्याशियों को उतारा था, जबकि अन्य पार्टियों के पास राजनीतिक जनाधार नहीं है। यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में कोई महिला जीत कर नहीं आ सकी।"