यह ख़बर 10 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

शीला दीक्षित ने 'आप' के फंड के स्रोत पर उठाए सवाल

शीला दीक्षित की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के वित्त पोषण के स्रोत पर सवाल उठाए। शीला ने 'आप' के खिलाफ जवाबी हमला करते हुए उनकी सरकार पर निराधार आरोप लगाने और सभी को एक ही नजरिए से देखने के लिए केजरीवाल की पार्टी की कड़ी आलोचना की तथा एक राजनीतिक दल के तौर पर उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।

शीला ने 'पीटीआई' के साथ एक साक्षात्कार के दौरान कहा, आप कहां से धन हासिल करते हैं? आप मुझे झूठा कह सकते हैं या मैं आपको चोर कह सकती हूं, लेकिन इस बात का क्या सबूत है कि मैं झूठी हूं? यह साबित करने के लिए क्या सबूत है कि आप एक चोर हैं? किसी के केवल अंगुली उठाने से कोई भ्रष्ट नहीं हो जाता। हर कोई शीशे के घरों में रह रहा है।

उन्होंने उनकी सरकार को निशाना बनाने के लिए 'आप' की आलोचना करते हुए कहा कि चुनावी लड़ाई राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों के विस्तृत मुद्दों पर लड़ी जानी चाहिए और यह निजी आरोपों एवं जवाबी आरोपों के आधार पर नहीं लड़ी जानी चाहिए।

75-वर्षीय शीला ने कहा, मुझे इससे (माहौल से) थोड़ी परेशानी होती है। राजनीतिक लड़ाई इस आधार पर लड़ी जाती है कि आप किस बात का समर्थन करते हैं। यह आपकी सोच और नीतियों पर लड़ी जाती है। यह निजी आरोपों और जवाबी आरोपों को लेकर नहीं लड़ी जाती। आप देख रहे हैं कि भ्रष्टाचार की बात कौन कर रहा है, दूसरों पर अंगुलियां कौन उठा रहा है? केजरीवाल की पार्टी शीला और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के मामले को लेकर लगातार हमला कर रही है।

'आप' ने कहा है कि उसने 8 नवंबर तक करीब 19 करोड़ रुपये प्रवासी भारतीयों समेत 63,000 लोगों से दान स्वरूप एकत्र किए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने केंद्र से कहा था कि वह 'आप' के वित्त पोषण का स्रोत पता लगाने के लिए उसके खातों की जांच करे। 'आप' के वित्त पोषण के स्रोत के बारे में हो रही आलोचना के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें मिलने वाले दान की सभी जानकारियां वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

शीला ने राजनीतिक दल के तौर पर 'आप' की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा, राजनीतिक दल बनना एक गंभीर मामला है। उनकी ('आप' की) सोच क्या है? लोगों को उनकी नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में पता होना चाहिए। भाजपा का दिल्ली में कुछ रिकॉर्ड है। हमारा शहर में सत्ता में रहने रहने का 15 सालों का एक ट्रैक रिकॉर्ड है। 'आप' का कोई ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है।


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