बिहार में मतगणना से एक दिन पहले शनिवार को अपने आवास पर नीतीश कुमार
पटना: तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी जता रहे नीतीश कुमार के लिए इस बार बिहार चुनाव की जंग आसान नहीं है।
एनडीटीवी के एक्जिट पोल में नीतीश नीत महागठबंधन को 110 सीटें जीतते हुए बताया गया है।एक्जिट पोल में सभी विधानसभा सीटों के विस्तृत रूप से 76,000 सेंपल को लिया गया। यह दिखाता है कि भाजपा और इसके तीन स्थानीय सहयोगी राज्य में करीब 125 सीटें जीत रहे हैं। यह बिहार में बहुमत के लिए हासिल संख्या से तीन अधिक है।
भाजपा ने पेश नहीं किया सीएम के लिए कोई चेहरा
महागठबंधन ने नीतीश को मुख्यमंत्री पद के रूप में पेश किया है। इस लिहाज से नीतीश का मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है जो कि भाजपा नीत एनडीए गठबंधन के प्रचार का सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं। भाजपा के लिहाज से बिहार में जीतना बेहद अहम है। भाजपा ने इस चुनाव के लिए मुख्यमंत्री के रूप में कोई चेहरा पेश नहीं किया है। वह इस बार मोदी की मास अपील और पार्टी प्रमुख अमित शाह के प्रबंधकीय कौशल पर निर्भर है।
लालू के उत्तराधिकारी हैं इस बार चुनाव मैदान में
जहां तक नीतीश के प्रमुख सहयोगी लालू यादव का सवाल है तो चारा घोटाला मामले में कोर्ट की ओर से दोषी ठहराए जाने और चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद वे सीएम पद की रेस से बाहर हैं। उन्होंने इन चुनावों में अपनी अगली पीढ़ी को उत्तराधिकारी के तौर पर उतारा है।
बड़ा असर डालेगी किसी भी गठबंधन की हार
महागठबंधन की हार देश की राजनीति के लिहाज से काफी असर डालेगी। इससे आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा विरोधी गठबंधन की रणनीति पटरी से उतर सकती है। यह कथित तौर पर प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले नीतीश के सपनों को भी काफी हद तक धराशायी कर सकती है। दूसरी ओर, महागठबंधन की जीत लालू यादव के लिए भाजपा विरोधी गठबंधन को आगे बढ़ने के लिहाज से महत्वपूर्ण रहेगा। माकपा के पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत इस रणनीति को करीब एक दशक पहले अमल में ला चुके हैं।