बिहार के चुनावी नतीजों का संसद और आर्थिक सुधारों पर क्‍या होगा असर...

बिहार के चुनावी नतीजों का संसद और आर्थिक सुधारों पर क्‍या होगा असर...

संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

बिहार में करारी हार के एक दिन बाद कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति ने 26 नवंबर से 23 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने का फैसला किया। सरकार को एहसास है कि बिहार की हार के बाद संसद चलाना बेहद मुश्किल होगा और इसलिए अभी से कमर कसना शुरू कर दिया है।

संसदीय कार्यमंत्री वैंकेया नायडू ने सोमवार को कहा, 'बिहार के नतीजे बिहार के लोगों की आशाओं को दर्शाते हैं। इन नतीजों का इस्तेमाल संसद के कामकाज में बाधा उत्पन्न करने के लिए नहीं होना चाहिये।'

नायडू ने कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें छप रही हैं कि बिहार में जीत के बाद विपक्ष संसद के शातकालीन सत्र के दौरान सरकार पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है और संसद चलाना उसके लिए बेहद मुश्किल होने वाला है। लेकिन विपक्ष को ऐसा रुख अख्तियार नहीं करना चाहिये। संसदीय कार्यमंत्री ने विपक्षी दलों से अपील की कि आर्थिक सुधार से जुड़े अहम बिल जैसे GST और रियल इस्टेट बिल पर राजनीतिक सहमति बनाने में उसे सरकार की मदद करनी चाहिये।

लेकिन संसदीय कार्यमंत्री की अपील का विपक्ष पर खास असर होता नहीं दिख रहा है और उसके तेवर तीखे नज़र आ रहे हैं। जेडी-यू के अध्यक्ष शरद यादव ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'बिहार के नतीजों का असर संसद के कामकाज पर ज़रूर पड़ेगा...सरकार आगे भी फेल होगी अगर उसने अपना रवैया नहीं बदला।' शरद यादव ने एनडीए सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसके प्रतिनिधि जब तक कोई पूरी तरह से उनका साथ ना दे वो उसे अपना साथी नहीं मानते।

यानी आगे की राह मोदी सरकार के लिए आसान नहीं लगती। आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटे पीएम के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाने की होगी। संसद में लंबित अहम आर्थिक सुधार के बिलों पर राजनीतिक सहमति बनाने की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाने की होगी।

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यूं तो बिहार नतीजों का फौरी झटका स्टॉक मार्केट पर दिखा पर जहां तक लंबे समय की बात है वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि आर्थिक सुधारों पर इनका कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सुधार के एजेंडे को संसद में आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अगले दो साल का रोडमैप तैयार कर लिया है और वो तय योजना के साथ इन्हें आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि पहले लैंड बिल पर लौट चुकी सरकार अब इस हार के बाद आने वाले दिनों में विपक्ष के साथ किसी तीखी तकरार से बचने की कोशिश जरूर करेगी।