बिहार चुनाव में 'लालटेन' के सहयोग से निशाने पर लगा 'तीर'

बिहार चुनाव में 'लालटेन' के सहयोग से निशाने पर लगा 'तीर'

नई दिल्‍ली:

बिहार में लालटेन के सहयोग से तीर ने अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा जबकि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस राज्य में कमल कुम्हला गया।

ऐसे में जब जनता दल-युनाइटेड (जदयू) नीत महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत दर्ज की, यह परिणाम जदयू के लिए बहुत महत्वपूर्ण था जिसका चुनाव चिह्न ‘तीर’ है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 545 सीटों में से उसके खाते में मात्र दो ही सीटें आयी थीं।

लालटेन लालू प्रसाद नीत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का चुनाव चिह्न है जो जदयू नीत गठबंधन का हिस्सा है। इस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल है।

जदयू की राजनीतिक मौजूदगी मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और केरल में है। इसका गठन जनता दल के शरद यादव नीत धड़े, लोकशक्ति पार्टी और समता पार्टी के 30 अक्टूबर 2003 के विलय से हुआ था।

जॉर्ज फर्नांडिस नीत समता पार्टी और नीतीश कुमार का जनता दल में विलय हो गया। इस विलय के बाद पार्टी का नाम जदयू पड़ा जिसका चुनाव चिह्न जदयू का तीर और समता पार्टी का हरा और सफेद झंडा आया।

इस पार्टी के बारे में माना गया कि यह बिहार में राजद की विरोधी रहेगी, विशेष तौर पर तब जब उसने रघुनाथ झा जैसे बागियों का पार्टी में स्वागत किया गया।

जदयू ने नवम्बर 2005 में अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा के साथ मिलकर राजद नीत यूपीए को परास्त किया। गठबंधन ने 2010 के चुनाव में सत्ता बरकरार रखी जब उसे 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में 206 सीटें मिली।

नरेंद्र मोदी को 2014 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाये जाने के विरोध में जदयू ने जून 2013 में भाजपा से अपना 17 वर्ष पुराना गठबंधन तोड़ लिया। जदयू ने भाकपा के साथ मिलकर बिहार में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन कुल 40 सीटों में से उसे मात्र दो सीटें मिली जबकि भाजपा-लोजपा गठबंधन को 31 सीटें मिली।

चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को नये मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गई। जब भाजपा ने बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा तब राजद ने 23 मई 2014 को जदयू को समर्थन किया जिससे उसने बहुमत का आंकड़ा प्राप्त कर लिया।

यद्यपि मांझी के कुछ विवादास्पद कदमों के कारण नीतीश को उन्हें फरवरी 2015 को सत्ता से हटाने और लालू प्रसाद की मदद से सत्ता में वापसी को मजबूर होना पड़ा।

14 अप्रैल 2015 को जदयू, जदएस, राजद, इनेलो, सपा और समाजवादी जनता पार्टी ने भाजपा के खिलाफ एक नया राष्ट्रीय जनता परिवार गठबंधन बनाने की घोषणा की। यद्यपि यह मूर्त रूप नहीं ले पाया और उसके बाद सपा को बिहार विधानसभा चुनाव की 243 सीटों में से तीन सीटों की पेशकश की गई जिसके बाद वह गठबंधन से अलग हो गई और अलग चुनाव लड़ा।

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एकता का प्रदर्शन करते हुए जदयू, राजद और कांग्रेस ने 12 अगस्त को एक महागठबंधन के गठन की घोषणा की। इन विधानसभा चुनावों में इस महागठबंधन ने दो तिहाई बहुमत के साथ अपनी जबर्दस्त जीत हासिल की।