बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को दी खुली बहस की चुनौती

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को दी खुली बहस की चुनौती

नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को एक बार फिर पीएम मोदी पर चुन-चुनकर हमला बोला। उन्होंने पीएम मोदी को हर मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती भी दे डाली। यही नहीं नीतीश ने पीएम के विदेश दौरों पर हमला करते हुए कहा कि पीएम को 14 महीने बाद बिहार की याद आई है, जबकि इस दौरान वे कई देशों का दौरा कर आए हैं।

नीतीश ने पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने अब तक संघ प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण की समीक्षा वाले बयान पर भी कुछ नहीं कहा है। बिहार के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी पर प्रधानमंत्री के पद की गरिमा का ख्याल नहीं रखने का भी आरोप लगाया।

नीतीश कुमार ने कहा कि विकास के मुद्दे पर उन्हें कोई तवज्जो नहीं दे रहा है तो अब वोटों के ध्रुवीकरण करने की कोशिशें की जा रही हैं। नीतीश ने गुजरात में कानून व्यवस्था की स्थिति पर प्रश्न उठाते दावा किया कि वहां विधि व्यवस्था की स्थिति खराब होने के कारण अध्यादेश निकाले जाने के बावजूद स्थानीय निकाय के चुनाव को टाल दिया गया। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन पर लगातार 'जंगलराज' के आरोप का जवाब दे रहे थे।

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रैली के दौरान मोदी के धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन पर लगातार 'जंगलराज' के आरोप लगाए जाने पर नीतीश ने कहा कि गुजरात में मोदी ने 12 सालों तक राज किया, जहां कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने के कारण अध्यादेश निकाले जाने के बावजूद स्थानीय निकाय चुनाव टाल दिए गए।

बिहार में अपहरण की घटना में इजाफा होने के आरोप पर नीतीश ने बताया कि इस साल जनवरी से लेकर जुलाई तक बिहार में 3743 सामान्य अपहरण एवं 40 फिरौती के लिए अपहरण के मामले दर्ज किए गए। फिरौती के लिए अपहरण के एक मामले को छोडकर सभी मामलों में अपहृत को बरामद कर लिया गया है।

साल 2014 के सामान्य अपहरण के दर्ज मामलों का उल्लेख करते हुए नीतीश ने बताया कि मध्य प्रदेश में ऐसे 7833, दिल्ली में 7147 जबकि बिहार में 6570 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने बताया कि साल 2014 में बिहार में प्रति लाख जनसंख्या अपहरण की दर जहां 6.4 प्रतिशत थी, वह छत्तीसगढ, हरियाणा, मध्य प्रदेश और दिल्ली में क्रमश: 7.9, 11.5, 10.3 और 35.2 प्रति लाख जनसंख्या था।

नीतीश ने राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के साल 2012 और 2014 के अपराध आंकडों के विशलेषण के आधार पर बीजेपी शासित प्रदेशों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और देश की राजधानी दिल्ली जहां के कानून व्यवस्था का मामला केंद्र के अधीन है, के अपराध आंकड़ों की तुलना बिहार से करते हुए कहा कि अगर बिहार में 'जंगलराज' है तो क्या इन राज्यों में मंगल राज है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार में जंगलराज के उदाहरण के तौर पर गत गुरुवार रात को पटना में एक अपर पुलिस अधीक्षक पर अपराधियों द्वारा की गई गोलीबारी की घटना का जिक्र किए जाने के बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि किसी राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति का आकलन एक या दो घटनाओं से नहीं किया जा सकता। उन्होंने प्रधानमंत्री पर बिना जवाब सुने 'हिट एंड रन' नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह की बातें की जाएंगी तो देश के लोकतंत्र का क्या होगा।

नीतीश ने प्रधानमंत्री से उत्तर प्रदेश के दादरी की घटना पर राष्ट्रपति के बयान की आड में बोलने के बजाय उस पर सीधे तौर पर यह बोलना चाहिए कि यह किस प्रकार की घटना है और इसे किस रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने बाहर के मुद्दे को बिहार में ऐसा कोई वातावरण नहीं होने के बावजूद यहां उछाले जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के खिलाफ प्रधानमंत्री ने 'शैतान' जैसे शब्दों का उपयोग किया।

नीतीश ने बीजेपी की उस घोषणा कि बिहार में सत्ता में आने पर गोवध पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने की घोषणा को हास्यापद बताते हुए कहा कि इस राज्य में इसके लिए 1955 से यह कानून लागू है और इस राज्य में पिछले दस सालों में इस प्रकार का कोई विवाद नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिंक रिवोल्यूशन और उत्तर प्रदेश में बूचड खाने को बंद करने का वादा किया गया था पर देश में मोदी जी के कार्यकाल के दौरान बीफ के निर्यात में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और बजट में इसके लिए अनुदान का प्रावधान आज भी जारी है।

आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद और पार्टी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद की गोवध को लेकर की गई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि हर व्यक्ति के किसी बात को बयान करने का अंदाज अपना-अपना होता है।

नीतीश ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार की बात किए जाने पर बीजेपी के कई नेताओं द्वारा अपनी राय प्रकट कर दी गई है। किन्तु प्रधानमंत्री जी का कोई व्यक्तव्य नहीं आया है। यहां तक कि जब मंडल आयोग की अनुशंसाएं लागू की गई थीं, उसके पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में बहस करने वाले वरिष्ठ वकील रामजेठमलानी ने पत्र लिखकर इस पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था पर प्रधानमंत्री जी ने मुंह नहीं खोला और स्थिति स्पष्ट नहीं की।

उन्होंने बिजली के लिए बीआरजीएफ के तहत केंद्र से मिलने वाली राशि पर गलत बयानी करने का प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि किस प्रकार से एक असत्य बात उनके द्वारा बिहार की भोली भाली जनता से उन्हें गुमराह करने के लिए खास तौर पर चुनाव के समय कही जा रही है।

नीतीश ने प्रधानमंत्री पर लोकसभा चुनाव के दौरान महंगाई कम करने, कालाधन को वापस लाने और किसानों व नौजवानों से किए गए अपने वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए उनकी पार्टी पर जातिवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया।

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साथ में एजेंसी इनपुट