2जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा और द्रमुक प्रमुख करुणानिधि की बेटी कनिमोई समेत 19 व्यक्तियों तथा कंपनियों पर आरोप तय कर दिए गए हैं। इन पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा चलेगा।
अदालत ने मामले में, द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल के खिलाफ भी आरोप तय किए। इस मामले में तीन से सात साल की सजा हो सकती है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने 19 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120..बी (आपराधिक षड्यंत्र) और धनशोधन निरोधक कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप तय किए। आरोपियों में 10 व्यक्ति और नौ कंपनियां शामिल हैं। इन सभी को प्रवर्तन निदेशालय ने मामले के सिलसिले में आरोपित किया था।
न्यायाधीश ने कहा, प्रत्येक आरोपी के खिलाफ डीबी ग्रुप कंपनी से कलैगनर टीवी प्रा लि को 200 करोड़ रुपये का धन शोधन करने के लिए प्रथम दृष्टया सभी आरोप लगाए गए हैं। अदालत ने जैसे ही अपनी व्यवस्था दी, न्यायाधीश ने सभी आरोपियों से जानना चाहा कि क्या वह अपराध को लेकर अपना दोष स्वीकार करते हैं या सुनवाई चाहते हैं। इस पर, सभी आरोपियों ने कहा कि वे अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों के लिए सुनवाई चाहते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप पत्र में आरोप लगाया है कि आरोपी 200 करोड़ रुपये के लेनदेन में शामिल थे जो ‘असली’ और ‘वास्तविक’ नहीं था और यह राशि राजा द्वारा डीबी ग्रुप कंपनीज को दूरसंचार का लाइसेंस देने के लिए रिश्वत थी। एजेंसी ने दावा किया कि डीबी ग्रुप कंपनीज से द्रमुक द्वारा संचालित कलैगनार टीवी को कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रा लि तथा सिनेयुग फिल्म्स प्रा लि के माध्यम से 200 करोड़ रुपये का हस्तांतरण करने के संबंध में किए गए लेनदेन की शृंखला ‘वास्तविक कारोबारी लेनदेन’ नहीं थी।
राजा, कनिमोई और दयालु अम्माल के अलावा मामले के अन्य आरोपी शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रा लि के निदेशक आसिफ बलवा और राजीव अग्रवाल, शरद कुमार, बॉलीवुड के निर्माता करीम मोरानी तथा पी अमृतम हैं।
आरोपों के जवाब में राजा और कनिमोई ने तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत के साथ दाखिल दस्तावेजों से कहीं भी यह जाहिर नहीं होता कि वह लोग डीबी ग्रुप से कलैगनार टीवी को किए गए 200 करोड़ रुपये के लेनदेन से जुड़े थे।
इसी तरह, स्वान टेलीकॉम प्रा. लि. के प्रमोटरों शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयनका सहित अन्य सह आरोपियों ने तर्क दिया कि कथित अपराध और उसकी कार्रवाई से उनके जुड़े होने के बारे में कोई सबूत नहीं है।