ADVERTISEMENT

सलाह अंजलि इष्टवाल की : क्या है बेहतर, घर खरीदना या किराये पर रहना...?

मकान खरीदने से पहले, इतना बड़ा लोन अपने सिर लेने से पहले अपनी ज़रूरत और माली हालत का अच्छी तरह जायज़ा लें, क्योंकि यह फैसला आपकी आर्थिक स्थिति पर लंबे वक्त तक असर डालता रहेगा।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी03:27 PM IST, 13 Jan 2015NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

आपकी प्राथमिकताओं की सूची में भले ही घर खरीदना सबसे ऊपर हो, लेकिन क्या अभी आपके लिए मकान खरीदना मुनासिब है या नहीं...? यह फैसला सोच-समझकर लिए जाने की ज़रूरत है, और उससे पहले ज़रूरी है कि इंसान अपनी ज़रूरतें, अपनी आर्थिक स्थिति, शहर में प्रॉपर्टी की कीमतें और किराये, इन सभी पहलुओं को अच्छी तरह जांच ले।

घर खरीदने का सपना तो सभी देखते हैं, लेकिन एक मध्यम वर्ग के प्रोफेशनल के लिए जिस शहर में वह काम करता है, वहां रहने के लिए मकान खरीदना हमेशा फायदे का सौदा नहीं होता। खासतौर पर शहरों में प्रॉप्रटी की कीमतों और किरायों के बीच के अंतर को देखते हुए कभी-कभार किराये पर रहने में ज़्यादा समझदारी होती है, हालांकि पारंपरिक तौर पर प्रॉपर्टी खरीदना हमेशा फायदे का सौदा माना जाता रहा है।

बजाज कैपिटल लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव बजाज मानते हैं कि वैसे तो घर खरीदने पर आप अच्छा निवेश ही कर रहे हैं, लेकिन उसी स्थिति में, जब आपके पास उसका डाउन पेमेंट देने के लिए नकद हो और साथ ही आप उस शहर में लंबे वक्त तक रहने की सोच रखते हों। लेकिन यह भी देखें कि शहर में किराये की रकम प्रॉपर्टी की कीमतों का मुकाबला कर रही हों। लेकिन इस सबके बावजूद कभी-कभी मकान किराये पर लेना ही आपके लिए बेहतर होता है... खासतौर पर उनके लिए, जो उस शहर में बसना नहीं चाहते या जिनका बार-बार ट्रांसफर होता है।

किराये पर रहने का फायदा यह है कि आप अपनी सीमित आय में भी अपनी जीवनशैली के मुताबिक मकान ले सकते हैं, जो वैसे आपके बजट के बाहर हो। अगर हम कुछ शहरों को देखें तो उनमें किराये पर रहने और खरीदने की वजह साफ हो जाती है।

फायनेनशियल प्लानिंग पोर्टल www.arthyantra.com के मुताबिक बेंगलुरू जैसे शहर में, जहां देशभर से आए नौकरीपेशा लोगों की तादाद ज़्यादा है, पिछले तीन सालों में किराये लगभग 38 फीसदी बढ़े हैं, जबकि प्रॉपर्टी की कीमतें लगभग 13 फीसदी... ऐसे में 15 लाख सालाना से ज़्यादा की तनख्वाह वालों को ही यहां प्रॉपर्टी खरीदने के बारे में सोचना चाहिए।

वैसे ही चेन्नई में पिछले तीन सालों में प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन किराये 10 फीसदी की दर से बढ़े हैं... यहां भी 20 लाख से ज़्यादा की तनख्वाह वाले प्रोफेशनल्स के लिए मकान खरीदना बेहतर होगा।

दिल्ली एनसीआर में किरायों में हालांकि काफी बढ़त हुई है, लेकिन दिल्ली में प्रॉपर्टी की कीमतें देश में दूसरे नंबर पर हैं। ऐसे में यहां किराये पर ही रहना बेहतर है। मुंबई किराये पर रहने और खरीदने, दोनों ही लिहाज़ से सबसे महंगी नगरी है। लेकिन महंगे किरायों के बावजूद यहां किराये पर ही रहना समझदारी है। www.arthyantra.com के संस्थापक और सीईओ नितिन व्याकरणम के मुताबिक आंख मूंदकर मकान खरीदने में समझदारी नहीं है, और उससे पहले अपने शहर और अपनी आर्थिक हालत का पूरा जायज़ा लेना बेहद ज़रूरी है।

मकान खरीदने से पहले, इतना बड़ा लोन अपने सिर लेने से पहले अपनी ज़रूरत और माली हालत का अच्छी तरह जायज़ा लें, क्योंकि यह फैसला आपकी आर्थिक स्थिति पर लंबे वक्त तक असर डालता रहेगा।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT