दो दिवसीय बैंकिंग सम्मेलन में सरकार ने क्षेत्र से जुड़े लोगों से अपील की कि वह अपनी बात और नजरिया बेखौफ रखें। एनडीटीवी को सूत्रों ने जानकारी दी है कि बैंकिंग क्षेत्र सरकार से यह मांग कर रहा है कि इस क्षेत्र में प्रतिभाओं के चयन में उन्हें आजादी मिले।
सूत्रों का कहना है कि बैंकर्स प्रधानमंत्री से सीधे कैंपस इंटरव्यू के जरिये लोगों को नौकरी पर रखने की इजाजत मांगेंगे। सरकारी बैंकों का तर्क है कि निजी क्षेत्र के बैंक ऐसा कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए उन्हें भी ऐसा करना होगा।
बैंकरों का मानना है कि भर्ती में कई मुद्दों पर बदलाव की जरूरत है। सूत्रों ने बताया कि बैंकरों का मानना है कि प्रतिभावान लोगों को लुभाने के लिए उचित मुआवजा अथवा वेतन सरकारी क्षेत्र में नहीं दिया जा रहा है जैसा की निजी क्षेत्र के बैंक करते हैं।
इसके अलावा बैंकरों का यह भी कहना है कि उन्हें तमाम लेन-देन जैसे क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से लेन देन में लगाए जा रहे शुल्क को कम करना चाहिए। बैंकरों का यह भी सुझाव है कि जो व्यापारी मोबाइल फोन के जरिये लेन-देन कर रहे हैं। उन्हें करों में छूट देने का प्रावधान होना चाहिए।
वर्तमान में सरकारी बैंकों में भर्ती की प्रक्रिया आईबीपीएस के जरिये वर्ष में दो बार की जाती है। सूत्र बता रहे हैं कि बैंकरों की मांग है कि सही प्रतिभा के चयन में उन्हें थोड़ी आजादी मिलनी चाहिए। कुछ बैंकरों की यह भी राय है कि सरकारी बैंकों में भी हायर एंड फायर पॉलिसी होनी चाहिए। इन लोगों का कहना है कि इससे सरकारी बैंक भी मुनाफे की ओर बढ़ेंगे। बैंकरों का मानना है कि यह सही समय है जब इस क्षेत्र बदलाव लाए जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने शुक्रवार को कहा था कि बैंकरों को ऐसे सृजनात्मक सुझाव देने चाहिए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की गति से प्रगति करे और देश में महंगाई पर इसका नकारात्मक असर भी न हो। बैंकरों के सम्मेलन के दूसरे दिन बैंकर वित्तमंत्री अरुण जेटली और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन को एक प्रस्तुति देंगे और फिर प्रधानमंत्री को भी एक ज्ञापन सौंपेंगे। बताया जा रहा है कि शनिवार को बैंकर पीएम नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। शाम को पीएम इस संबंध में एक ब्लू प्रिंट जारी कर सकते हैं।