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'पॉलिसी पैरालाइसिस' से जूझते पीएम के खिलाफ ममता ने निकाली तलवार

एक ओर जैसे ही सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फ़ीसदी विदेशी निवेश को मंज़ूरी दी तो दूसरी ओर तृणमूल ने फैसला वापस लेने के लिए सरकार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया।
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NDTV Profit हिंदी11:06 PM IST, 14 Sep 2012NDTV Profit हिंदी
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डीजल मूल्य में पांच रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी के अगले दिन केंद्र सरकार ने बहुब्रांड खुदरा बाजार में 51 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। उसके इस फैसले से प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस ने इसे जनविरोधी बताते हुए शुक्रवार को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया और कहा कि कांग्रेस इन फैसलों पर फिर से विचार करे।

तृणमूल कांग्रेस ने अपना कड़ा तेवर तब दिखाया जब केंद्र सरकार ने नीतिगत असमंजस की केंचुली उतार फेंकने का दूसरी बार संकेत देते हुए शुक्रवार को बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। सरकार ने इसके साथ ही एकल ब्रांड रिटेल में भी सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में शुक्रवार को यह फैसला लिया गया। इस फैसले से वालमार्ट और केयरफोर जैसी वैश्विक रिटेल कम्पनियों को भारत में अपने स्टोर खोलने का अवसर मिल जाएगा।

कई वैश्विक कम्पनियों के भारत में पहले से स्टोर हैं, लेकिन उन्हें सीधे आम लोगों को उत्पाद बेचने का अधिकार अब तक नहीं था। वे दूसरे स्टोरों को माल बेच सकते थे। अब वे आम लोगों को भी माल बेच पाएंगे।

सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा की।

शर्मा ने बताया कि एकल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी और बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।

मंत्रिमंडल ने पिछले साल नवम्बर में बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई का फैसला कर लिया था। लेकिन विपक्ष और कुछ सहयोगी दलों के विरोध के कारण तब फैसले को स्थगित कर दिया गया था।

इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "बड़े आर्थिक सुधारों का वक्त आ गया है।"

सरकार ने अपने फैसले में विरोधियों की राय को भी ध्यान में रखा है और राज्य सरकारों को अधिकार दिया है कि वे अपनी भूमि पर बहुब्रांड रिटेल को अनुमति देने के बारे में फैसला ले सकते हैं।

केंद्र सरकार के इस फैसले पर चर्चा के लिए तृणमूल ने 18 सितम्बर को पार्टी संसदीय दल की बैठक बुलाई है जिसमें पार्टी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाग लेंगी।

पार्टी के सांसद कुणाल घोष ने कोलकाता में कहा, "हमने 18 सितम्बर को पार्टी संसदीय दल की अत्यावश्यक बैठक बुलाई है। हम इन फैसलों से सहमत नहीं हैं। हम 72 घंटे का आखिरी मौका दे रहे हैं, कांग्रेस अपने फैसलों पर फिर से सोचे।" उन्होंने कहा, "हम किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं। तृणमूल को केंद्र से समर्थन वापस लेने में मात्र एक सेकंड लगेगा लेकिन यदि हम ऐसा करते हैं तो कुछ लोग कहेंगे कि हमने अस्थिता पैदा कर दिया और तब सांसदों की खरीद-फरोख्त शुरू हो जाएगी।"

इससे पहले पार्टी नेता एवं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा, "फैसला अप्रत्याशित है। हम फैसले का विरोध करेंगे। इस मसले पर हम पार्टी के अंदर चर्चा करेंगे।"

उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस सहित वामपंथी दल भी इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। कई राज्य सरकारें भी इसका विरोध कर रही हैं।

आनंद शर्मा ने कहा कि आंध्र प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसी राज्य सरकारें एफडीआई के पक्ष में थीं। उन्होंने कहा, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल ने इसका विरोध किया था।

शर्मा ने कहा, "जो राज्य एफडीआई चाहते हैं, वे ऐसा कर सकते हैं। जो राज्य नहीं चाहते हैं वे इस पर रोक लगा सकती हैं।"

शर्मा ने कहा कि औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग जल्द ही मंत्रिमंडल के फैसले को लागू करने के बारे में अधिसूचना जारी करेगा। उन्होंने कहा, "यह नीतिगत फैसला है। विभाग इसे अधिसूचित करेगा। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि इस पर कोई देरी नहीं होगी।"

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