कोयला घोटाले पर राजनीति तेज हो गई है। आज राज्यसभा में कोयला आवंटन से जुड़ी फाइलें गायब होने के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सफाई मांगी गई।
बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने राज्यसभा में कहा कि प्रधानमंत्री को इस बारे में साफ करना चाहिए कि आखिर फाइलें कैसे गुम हुईं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और गुम हुई फाइलों पर सरकार से बयान की मांग की।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि यह एक गंभीर मसला है और इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय भी लिप्त है। उन्होंने कहा, अचानक फाइल गुम हो गई। सरकार को इस पर अवश्य बयान देना चाहिए। इसके फौरन बाद शुक्ला ने कहा, कोयला मंत्री सदन में उपस्थित होंगे और इस पर बयान देंगे।
दरअसल, कोयला खदान एलॉटमेंट के लिए साल 1993 से 2004 के बीच कई कंपनियों ने आवेदन किया था और उनके दस्तावेज गायब हैं। इनमें कांग्रेस सांसद विजय दर्डा की कंपनी की फाइल भी शामिल है। बीजेपी ने इस पर कहा है कि यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इससे पूर्व बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा है कि वह और उनकी पार्टी संसद में कोलगेट से जुड़ी फाइलों के गायब होने के मामले को जोर-शोर से उठाएंगे। यशवंत सिन्हा ने कहा कि फाइलों का गायब होना एक गंभीर मसला है और इससे मामले की जांच पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिस समय का यह मामला है, उस समय प्रधानमंत्री खुद कोयला मंत्री थे और ऐसे में फाइलों का गायब होना संदेह पैदा करता है।
दर्डा ने बांदेर कोल ब्लॉक के लिए सिफारिश की थी, जिसे पीएमओ ने आगे बढ़ाया था। खास बात यह है कि कोयला घोटाले की जांच कर रही सीबीआई भी कह चुकी है कि उसे कुछ दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से जांच में सहयोग के लिए कहा था।
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने भी यह बात कही है कि कोयला आवंटन से जुड़ी कुछ फाइलें गायब हुई हैं और उनका पता लगाने के लिए एडिशनल सेक्रेटरी की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है।
जासवाल ने कहा, कुछ फाइलें गायब हैं, लेकिन मुझे यह नहीं पता कितनी फाइलें गायब हैं। मुझे यह बताया जा रहा है कि 1993−04 के बीच की फाइलें गायब हैं। इनका पता लगाने के लिए सभी विभागों को आदेश दिए गए हैं। एक कमेटी बनाई गई है कि कैसे उन फाइलों को दोबारा हासिल किया जाए।