बजट एयरलाइन स्पाइसजेट में वित्तीय संकट का दायरा बढ़ता जा रहा है। बुधवार को तेल कंपनियों ने बकाये का भुगतान नहीं होने पर स्पाइसजेट को ईंधन की सप्लाई रोक दी, जिसकी वजह से शाम 4 बजे से पहले कंपनी का कोई विमान नहीं उड़ सका।
इसकी वजह से दिल्ली, औरंगाबाद और अगरतला में फंसे यात्रियों ने जमकर हंगामा किया। यात्रियों का आरोप था कि बिना किसी सूचना के फ्लाइटों को रद्द कर दिया गया और उन्हें न तो स्पाइसजेट और न ही एयरपोर्ट की तरफ से कोई मदद मिली।
देर शाम स्पाइसजेट की फ्लाइटें शुरू जरूर हुईं, लेकिन इस कड़की से उबरने की कोई पुख्ता योजना स्पाइसजेट के पास नहीं दिख रही। उधर, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने स्पाइसजेट को 31 मार्च, 2015 तक बुकिंग करने की इजाजत दे दी है और एयरपोर्ट ऑपरेटरों से 15 दिन और मोहलत देने को कहा गया है।
स्पाइसजेट की खस्ता वित्तीय हालत से एक बार फिर एयरलाइन सेक्टर की सेहत पर सवाल उठ रहे हैं। अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटी सरकार के लिए यह संकट कई सवाल खड़े कर रहा है, लेकिन क्या सरकार को स्पाइसजेट को संकट से उबारने के लिए पहल करनी चाहिए, इस अहम सवाल पर राजनीतिक दलों की राय बंटी हुई है।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कर्मचारियों को उनका हक मिले और उपभोक्ताओं से जो वादे किए हैं, कंपनी उसे पूरा करे। जबकि जेडीयू नेता शरद यादव ने कहा कि सरकार को कोई बेल-आउट पैकेज स्पाइसजेट को नहीं देना चाहिए।
बुधवार के संकट के बाद अब आशंका इस बात की है कि अगर यह मुश्किल आगे भी जारी रही, तो स्पाइसजेट के हजारों कर्मचारियों के करियर पर सवालिया निशान लग सकता है।