मोदी सरकार के सबसे बड़े कदमों में शुमार नोटबंदी पर एसोचैम ने अध्ययन किया. संस्था ने पाया कि नोटबंदी से भले ही नकदी में मौजूद कालाधन समाप्त हो गए मगर गलत तरीके से कमाई गई संपत्ति पर नोटबंदी बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं होगी. बड़े नोटों बंद करने से भी भविष्य में बेनामी संपत्ति पर अंकुश नहीं लगाया जा सकेगा.
उद्योग मंडल ने कालाधन की समस्या से निपटने के लिए स्टांप शुल्क में कमी और जमीन-जायदाद का इलेक्ट्रॉनिक रूप से पंजीकरण जैसे उपाय करने का सुझाव दिया है. एसोचैम का कहना है कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में कालाधन के मौजूदा भंडार को निकाला जा सकता है लेकिन गलत तरीके से कमाई गई संपत्ति को सोना तथा जमीन-जायदाद जैसी संपत्ति में बदलने को समाप्त नहीं किया जा सकता. ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए स्टांप शुल्क में कमी जैसे उपाय करने का सुझाव दिया है.
उद्योग मंडल के अध्ययन में कहा गया है, "उच्च राशि के नोट को चलन से प्रतिबंधित करने से कालाधन के भंडार की समस्या दूर होगी लेकिन भविष्य में प्रवाह पर इसका प्रभाव नहीं होगा. इस प्रकार के प्रवाह को रोकने के लिए संपत्ति लेन-देन पर स्टांप शुल्क में कमी, जमीन-जायदाद का इलेक्ट्रॉनिक रूप से पंजीकरण आदि जैसे उपाय किये जाने की जरूरत होगी."
अध्ययन के अनुसार ऐसे संकेत हैं कि प्रतिबंधित मुद्रा का लगभग पूरा हिस्सा बैंकों में सही या गलत तरीकों से आ गया है. यह बताता है कि बड़े नोटों को चलन से बाहर करने से गलत तरीके से कमाई गई संपत्ति पूरी तरह समाप्त नहीं हो सकती. एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, "कर अधिकारियों के पास संसाधन संबंधी बाधाओं को देखते हुए इतने बड़े पैमाने पर कालेधन को सफेद बनाने की पहचान कठिन कार्य हो सकता है."