प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को किए गए नोटबंदी के ऐलान के कुछ परिणाम सामने आ गए हैं और कुछ आने बाकी हैं. स्पष्ट हो चुके परिणामों के बाद यह जानना बेहद जरूरी है कि किस प्रकार बदलते हालातों को समझा जाए और उसी के हिसाब से निवेश संबंधी फैसले लें ताकि आपको अधिक से अधिक मुनाफा हो.
कालेधन पर धरपकड़ के लिए की गई नोटबंदी के चलते अधिक से अधिक लोग बैंकों में अपना पैसा जमा करवा रहे हैं. ऐसे में बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ी है. लेकिन जैसा कि देश का सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक भी यह कह चुका है कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में जो अतिरिक्त नकदी आ रही है, वह जल्द वापस नहीं निकलेगी, हमें यह देखना होगा कि भविष्य में निवेश के विकल्प चुनते समय हम क्या फैसले लें क्योंकि ब्याज दरें अभी और कम होंगी. हालांकि इसका एक फायदा यह भी होगा कि आपकी ईएमआई घटेगी और लोन सस्ता होगा. विश्लेषकों का कहना है कि जिन लोगों ने होम लोन और ऑटो लोन लिया हुआ है, उनके लिए इस नोटबंदी का सकारात्मक असर होगा.
7 दिसंबर को आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा पर नजर...
आरबीआई जल्द ही 25 से 50 बेसिस पॉइंट का रेट कट कर सकता है. एनालिस्ट मानते हैं कि अगले महीने 7 दिसंबर को आरबीआई मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश करते वक्त रेट कट का ऐलान कर सकता है. यही नहीं, जानकारों की मानें तो अगले 12 महीनों में इसके अलावा भी रेट कट किए जा सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बैंकों के पास प्रचुर मात्रा में जमा हो चुकी होगी. 18 नवंबर तक आंकड़ों की ही बात कर लें तो बैंकों के पास 5.44 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले या जमा किए हैं. रिजर्व बैंक ने बयान में कल कहा कि 10 से 18 नवंबर के दौरान बैंकों के काउंटर या एटीएम के जरिये 1,03,316 करोड़ रुपये वितरित किए गये. सरकार ने लोगों को पुराने नोटों को अपने बैंक खातों में जमा करने के लिए 50 दिन का समय दिया है. इस वजह से एसबीआई का ही नकद जमा 17 नवंबर तक 1.27 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया है.
हाल ही में एसबीआई की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्या कांति घोष ने कहा था कि मुद्रास्फीति अभी और गिरेगी और यह 3.5 फीसदी तक पहुंच सकती है. ब्लैक मनी पर 'धरपकड़' से अभी सुस्ती और बढ़ेगी, खासतौर से सेवा क्षेत्र में. इस सेक्टर में काफी ज्यादा कैश ट्रांजैक्शन होता है. उन्होंने भी इस बात पर जोर किया कि दिसंबर में रेट कट होगा और ब्याज दरों में यह कटौती आखिरी साबित नहीं होगी. सीएलएसए में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राजीव मलिक भी यह उम्मीद जता चुके हैं कि अगले 12 महीनों में आरबीआई तीन बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.
किस बैंक ने कितनी ब्याज दरें घटाईं, और कितनी अवधि के आपके डिपॉजिट क्या असर....
नोटबंदी के बाद जमाओं में अप्रत्याशित उछाल को देखते हुए आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और केनरा समेत कई बैंकों ने मियादी जमाओं पर ब्याज दरें एक प्रतिशत तक घटा दीं हैं. केनरा बैंक ने विभिन्न परिपक्वता अवधि की जमाओं पर ब्याज दरों में 0.05 प्रतिशत से 0.25 प्रतिशत तक की कमी है. आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक ने सावधि जमाओं (एफडी) के ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत तक की कमी की घोषणा की है. आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट के अनुसार 390 दिन से दो साल तक की सावधि जमाओं के लिए ब्याज दर में 0.15 प्रतिशत की कमी की गई है.यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने अल्पकालीन जमा पर ब्याज दर एक प्रतिशत घटा दी है. एचडीएफसी बैंक ने एक से पांच करोड़ रुपये की जमाओं के लिए ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है.
वहीं, एसबीआई ने चुनिंदा परिपक्वता अवधि वाली मियादी जमाओं पर ब्याज दरों में 0.15 प्रतिशत तक की कटौती की है. एक साल से 455 दिन की मियादी जमा पर ब्याज दर 0.15 प्रतिशत घटाकर 6.90 प्रतिशत कर दिया गया है जो पहले 7.05 प्रतिशत थी. इसके अलावा 456 दिन तथा दो साल से कम की अवधि के लिये सावधि जमा पर ब्याज दर 7.10 प्रतिशत से घटाकर 6.95 प्रतिशत कर दिया गया है. दो से तीन साल की अवधि के लिये मियादी जमा पर ब्याज दर अब 6.85 प्रतिशत होगी जो पहले 7.0 प्रतिशत थी. देना बैंक ने चुनिंदा परिपक्वता अवधि वाली मियादी जमा राशि पर ब्याज दरों में 0.5 प्रतिशत अंक तक की कटौती की है. 80 से 270 दिनों के लिये ब्याज दर 0.5 प्रतिशत घटा कर 6.50 प्रतिशत कर दी गयी है. 271 दिन से अधिक तथा दो साल से कम अवधि की मियादी जमा राशि पर ग्राहकों को 7.0 प्रतिशत ब्याज मिलेगा जो पहले से 0.2 प्रतिशत कम है.
आप इन विकल्पों पर गौर सकते हैं...
सबसे पहले तो यह जान लें कि डेट और बॉन्ड मार्केट को हमेशा गिरती हुए ब्याज दरों के ट्रेंडिग सर्कल का लाभ मिलता है. वैल्यू रिसर्च के डाटा के मुताबिक, डेट फंड्स (गिल्ट मीडियम और लॉन्ग टर्म) के तहत डेट म्यूचुअल फंड्स का औसत रिटर्न पिछले एक हफ्ते में 2 फीसदी से ज्यादा देखा जा रहा है जिससे सालाना यील्ड 15 फीसदी के आसपास हो सकती है. भारतीय डेट बाजारों में चूंकि इन दिनों रैली देखी जा रही है. बॉन्ड में कमजोरी है और यह 8 साल के सबसे निचले स्तर पर देखा जा रहा. विशेषज्ञों की राय में डेट म्यूचुअल फंड्स (कम से कम मीडियम टर्म) में रैली जारी रह सकती है.
आउटलुक एशिया कैपिटल के सीईओ मनोज नागपाल के मुताबिक, कम जोखिम लेने वाले निवेशकों को राय है कि वे यदि एफडी करवाते हैं तो उन्हें यह दीर्घकालीन लिहाज से करनी चाहिए, खासतौर से तब यदि वह सालाना या मासिक आधार पर इंट्रेस्ट रेट के माध्यम से आय चाहते हों, क्योंकि ब्याज दरों में अभी और गिरावट आएगी. वैकल्पिक तौर पर, युवा निवेशक लंबी अवधि के डेट म्युचूअल फंड्स में निवेश करें. नागपाल के मुताबिक, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम में निवेश किया जा सकता है. यहां छोटी बचत योजनाओं के मुकाबले अधिक ब्याज दरें होंगीं (खासतौर से क्षीण होते ब्याज दरों के दौर में). वैसे छोटी बचत योजनाएं आमतौर पर बैंक डिपॉजिट के मुकाबले अधिक ब्याज देती हैं.