उड्डयन नियामक ने शुक्रवार को कर्ज में डूबी कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस को कारण बताओ नोटिस जारी किया। नियामक ने कम्पनी से 15 दिनों में इस सवाल का जवाब देने के लिए कहा कि क्यों नहीं उसकी उड़ान परमिट को रद्द या निलम्बित कर दिया जाए।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने नोटिस जारी किया क्योंकि विमानन कम्पनी सुरक्षित, सक्षम और विश्वासनीय सेवा स्थापित नहीं कर पाई।
बयान में कहा गया कि नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि सुरक्षा के साथ समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार ने भी इस बारे में कानूनी सलाह ली है।
विमानन कम्पनी ने गुरुवार देर शाम हड़ताली कर्मचारियों के साथ वार्ता असफल हो जाने के बाद एक अक्टूबर को घोषित तालाबंदी को 12 अक्टूबर तक बढ़ाने की घोषणा की। ऐसी खबरें मिल रही थीं कि कम्पनी को कर्जदाताओं ने पैसे देने से इनकार कर दिया इसलिए कम्पनी कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे सकती है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने शुक्रवार सुबह को कहा था कि किंगफिशर एयरलाइंस सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करने के बाद ही उड़ानों का संचालन कर सकती है।
सिंह ने कहा, "उन्हें (किंगफिशर एयरलाइंस को) फिर से उड़ान संचालन की अनुमति देने के लिए उन्हें सभी सुरक्षा मुद्दों पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को संतुष्ट करना होगा।"
विमानन कम्पनी के कर्मचारियों ने मुम्बई में शुक्रवार को बकाए वेतन के भुगतान की मांग करते हुए कम्पनी के कार्यालय तक जुलूस निकाला।
विमानन कम्पनी के कर्मचारी पांच अक्टूबर तक बकाए वेतन के भुगतान की मांग के साथ रविवार को आकस्मिक हड़ताल पर चले गए थे। इसके बाद कम्पनी को अपनी सभी 50 उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं।
देश के उड्डयन बाजार में किंगफिशर की हिस्सेदारी घटकर सबसे कम 3.2 फीसदी रह गई है। बैंकों के समूह का कम्पनी पर 7000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
यात्रियों की संख्या के लिहाज से एक साल पहले तक किंगफिशर देश की दूसरी सबसे बड़ी कम्पनी थी। तब इसके पास 66 विमान संचालन में थे, जो अब सिर्फ 10 रह गए हैं।
कम्पनी के शेयर बम्बई स्टॉक एक्सचेंज में 13.90 रुपये से घटकर शुक्रवार को 13.25 रुपये रह गए।