योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने लागत से काफी कम दाम पर बेचे जा रहे डीजल के दाम बढ़ाने पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि डीजल के दाम बढ़ायें या फिर ग्रिड ठप होने जैसी स्थिति का सामना करने को तैयार रहें।
उल्लेखनीय है कि हाल में दो दिन लगातार ग्रिड ठप होने के कारण 20 राज्यों में घंटों बिजली गायब रही। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘असली सवाल यह है कि यदि हम ऐसे कड़े फैसले (डीजल की कीमत बढ़ाने) नहीं लेते हैं तो अलग किस्म के परिणाम होंगे। ग्रिड ठप होने जैसी चीज आपने देखी, यदि वितरण कंपनियां बिजली का भुगतान नहीं कर पा रहीं तो आपको कुछ मुश्किल होगी।'
डीजल की कीमत बढ़ाने के बारे में अहलूवालिया ने कहा, ‘जब वे कीमत बढ़ाएंगे तो शुरुआत में इसका असर होगा, लेकिन कीमत न बढ़ाने का मतलब होगा कि तेल कंपनियों का नुकसान जारी रहेगा।’ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां डीजल की बिक्री उसकी वास्तविक लागत से 13.65 रुपये प्रति लीटर कम दाम पर कर रही है, जबकि घरेलू रसोई गैस सिलेंडर को 231 रुपये कम पर बेच रही हैं। इसके अलावा राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल पर तेल कंपनियों को 29.97 रुपये लीटर का नुकसान हो रहा है।
इन पेट्रोलियम पदार्थों के दाम नहीं बढ़ाये जाने की सूरत में सरकार को इसकी भरपाई के लिए 1,60,000 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध करानी होगी। अहलूवालिया ने कहा ‘यह सोचना गलत होगा कि डीजल के दाम बढ़ाने से मुद्रास्फीति बढ़ेगी, यह समझा जाता है कि उन्हें कम रखने और छुपी हुई सब्सिडी से मुद्रास्फीति नहीं बढ़ती है।’ उन्होंने कहा यदि डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरुप नहीं बढ़ाये जाते हैं तो या बजट से उसकी भरपाई करनी होगी या फिर हमारा उर्जा क्षेत्र लगातार कमजोर बना रहेगा, इन दोंनों में कोई भी मुद्रास्फीति के लिए अच्छा नहीं है।'