राजनीतिक दलों की चौतरफा आलोचनाओं के बीच दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) ने बिजली दरों में की गई सात प्रतिशत तक की वृद्धि को शुक्रवार को वापस ले लिया। दरों में वृद्धि की घोषणा गुरुवार रात की गई थी।
डीईआरसी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को बिजली की आपूर्ति करने वाली एनटीपीसी समेत बिजली उत्पादक कंपनियों ने कोयला तथा गैस जैसे ईंधन के बारे में आधी-अधूरी जानकारी ही दी और इसी को ध्यान में रखकर वृद्धि वापस ली गई है।
गुरुवार को डीईआरसी ने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की दरें 7 प्रतिशत तक बढ़ाने की घोषणा की थी और कहा था कि नई दरें शनिवार से प्रभावी होंगी।
नियामक ने निजी क्षेत्र की तीन बिजली वितरण कंपनियों की मांग पर अधिभार लगाकर शुल्क में वृद्धि की थी। डीईआरसी के आदेश के मुताबिक, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड के उपभोक्ताओं के लिए यह वृद्धि 7 प्रतिशत होनी थी, जबकि बीएसईएस राजधानी के उपभोक्ताओं को अपने बिजली बिल पर 4.5 प्रतिशत अतिरिक्त खर्च करना पड़ता।
टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के उपभोक्ताओं के लिए दर में ढाई प्रतिशत वृद्धि की गई। डीईआरसी चेयरपर्सन पीडी सुधाकर ने बताया था कि बिजली वितरण कंपनियों को उनकी बिजली खरीद लागत वसूलने में मदद के लिए बिजली दरें बढ़ाई गई हैं। अधिभार की फरवरी में दोबारा समीक्षा की जानी थी।
इस घोषणा के बाद बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बिजली की दरें बढ़ाए जाने की भारी आलोचना की। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल और उपराज्यपाल नजीब जंग के समक्ष उठाएगी।
बिजली की दरें बढ़ाए जाने की घोषणा होने के बाद आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी पर सवाल उठाए। केजरीवाल ने ट्वीट किया, बीजेपी सरकार ने दिल्ली में फिर बिजली दरें बढ़ा दी हैं, बीजेपी ने वादा किया था वह बिजली की दर 30 फीसदी घटाएगी, लेकिन बीजेपी ने यू-टर्न ले लिया है।
केजरीवाल ने एक और ट्वीट में लिखा, हमने बिजली के दाम आधे करने का वादा किया था और हमने किया भी, जो कहते हैं वो करते हैं...जब 'आप' की सरकार आएगी, तो हम फिर बिजली की दरें आधी कर देंगे।
(इनपुट भाषा से भी)