कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कुछ समय तक के लिए नए मामलों में पेंशन योजना पर ज्यादा योगदान की अनुमति देने से इनकार किया है। ईपीएफओ का मानना है कि इससे कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (ईपीएस-95) पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
ईपीएफओ के अपने फील्ड स्टाफ को कार्यालय आदेश में कहा गया है, ‘ऊंचे वेतन पर ईपीएस-95 के लिए अधिक योगदान की अनुमति नहीं होगी और इसकी सीमा 6,500 रुपये ही रहेगी।’ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन सदस्यों को अपने पेंशन खाते में अनिवार्य से अधिक के योगदान की अनुमति दे रहा है।
ईपीएफओ के नए आदेश के नए मामलों में कर्मचारियों को ऊंचे योगदान की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि ऊंचे वेतन पर योगदान के प्रत्येक विकल्प से पेंशन कोष पर दबाव पड़ेगा क्योंकि इससे भुगतान की प्रतिबद्धता भी बढ़ेगी।
ईपीएस-95 तथा कर्मचारी भविष्य निधि योजना 1952 के अनुसार अधिकतम मेल वेतन सीमा में मूल वेतन तथा महंगाई भत्ता शामिल है। पीएफ तथा पेंशन योगदान की सीमा 6,500 रुपये मासिक है।
ऐसे में सदस्य के पेंशन खाते में अधिकतम 541 रुपये का योगदान किया जाता है। ऐसे सदस्य जिन्हें 6,500 रुपये से अधिक मूल वेतन मिलता है उन्हें पेंशन खाते में अधिक योगदान के लिए अनुमति लेनी होती है।
योजना के तहत नियोक्ता मूल वेतन का 12 प्रतिशत सामाजिक सुरक्षा योजना में योगदान करते हैं। नियोक्ता के हिस्से में मूल वेतन का 8.33 प्रतिशत कर्मचारी के पेंशन खाते में जाता है। ऐसे में कर्मचारी के पेंशन खाते में अधिकतम योगदान मासिक 541 रुपये बैठता है और इससे अधिक राशि के भुगतान के लिए ईपीएफओ की अनुमति लेनी होती है।