नीतिगत असमंजस की केंचुली उतार फेंकते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बहुब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दे दी। सरकार ने इसके साथ ही एकल ब्रांड रिटेल में भी सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में शुक्रवार को यह फैसला लिया गया। इस फैसले से वालमार्ट जैसी वैश्विक रिटेल कम्पनियों को भारत में अपना कारोबार फैलाने का अवसर हासिल होगा। कई वैश्विक कम्पनियों के भारत में पहले से स्टोर हैं, लेकिन उन्हें सीधे आम लोगों को उत्पाद बेचने का अधिकार अब तक नहीं था। वे छोटे स्टोरों को माल बेच सकते थे। अब वे आम लोगों को भी माल बेच पाएंगे।
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा की।
शर्मा ने बताया कि एकल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी और बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है।
इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "बड़े आर्थिक सुधारों का वक्त आ गया है।"
सरकार ने अपने फैसले में विरोधियों की राय को भी ध्यान में रखा है और राज्य सरकारों को अधिकार दिया है कि वे अपनी भूमि पर बहुब्रांड रिटेल को अनुमति देने के बारे में फैसला ले सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस सहित वामपंथी दल भी इसका जबरदस्त विरोध कर रहे हैं। कई राज्य सरकारें भी इसका विरोध कर रही हैं।