थोक मूल्य मुद्रास्फीति फरवरी में घटकर शून्य से 2.06 प्रतिशत नीचे आ गई। आलोच्य अवधि में खाद्य, विनिर्मित उत्पाद और ईंधन सस्ते हुए हैं। यह लगातार चौथा महीना है, जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से नीचे है।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में शून्य से 0.39 प्रतिशत नीचे थी। पिछले साल फरवरी में यह 5.03 प्रतिशत थी।
समीक्षाधीन अवधि में प्याज, दाल और अंडा, मांस तथा मछली जैसे प्रोटीन युक्त उत्पादों के थोक मूल्य स्तर में वृद्धि की दर ऊंची हुई, वहीं सब्जी-फल और दूध की मुद्रास्फीति की दर घटी।
मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक खाद्य उत्पाद खंड में मुद्रास्फीति 7.74 प्रतिशत और विनिर्मित उत्पाद खंड में यह 0.33 प्रतिशत रही। सब्जियों के वर्ग में मुद्रास्फीति 15.54 प्रतिशत रही, जो पिछले माह के 19.74 प्रतिशत से कम है। आलू की कीमतें पिछले साल की तुलना में 3.56 प्रतिशत नीचे रहीं।
ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति फरवरी के दौरान शून्य से 14.72 प्रतिशत नीचे रही। इससे पिछले माह इस वर्ग में मुद्रास्फीति शून्य से 10.69 प्रतिशत नीचे थी। इस बीच, दिसंबर के अंतिम आंकड़ों के आधार पर उस माह की थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को संशोधित कर शून्य से 0.50 प्रतिशत नीचे कर दिया गया है।
प्रारंभिक आंकड़ों में इसे शून्य से 0.11 प्रतिशत नीचे बताया गया था था। भारतीय रिजर्व बैंक की 7 अप्रैल को होने वाली मौद्रिक नीति की घोषणा में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े पर भी गौर किया जाएगा। आरबीआई ने जनवरी से मार्च के दौरान नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में 0.50 प्रतिशत कमी की, ताकि मुद्रास्फीतिक दबाव में नरमी के बीच वृद्धि प्रोत्साहित की जा सके।