वैश्विक रेटिंग निर्धारण एजेंसी फिच ने धीमी पड़ती सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि और लोक वित्त की कमजोर स्थिति को देखते हुए भारत की साख रेटिंग अगले एक से दो साल के भीतर कम होने की चेतावनी दोहराई है।
हालांकि, वित्त मंत्रालय ने इसे हल्के में लेते हुए कहा है कि वित्तीय मोर्चे पर सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
फिच ने टोक्यो से एक कांफ्रेंस कॉल में कहा ‘पिछले साल जून मध्य में हमने भारत की साख रेटिंग के लिए नकारात्मक दृष्टिकोण रखा था। फिलहाल भारत की रेटिंग बीबीबी नकारात्मक है। नकरात्मक दृष्टिकोण से तात्पर्य रेटिंग में 12 से 24 महीने के भीतर गिरावट आ सकती है।’
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि वह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और उसे राजकोषीय घाटे के जीडीपी के 5.3 प्रतिशत के दायरे में रहने का पूरा भरोसा है।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने दिल्ली में कहा ‘हमें चिंता नहीं है। हम कहते रहे हैं कि हम सही रास्ते पर हैं, लेकिन लोग हम पर संदेह करते है और यह पूछते हैं कि क्या हम राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रख पाएंगे। हम वित्तीय मजबूती के लिए बनाई गई कार्ययोजना का पालन करेंगे।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने राजस्व प्राप्ति और खर्च के अंत को चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी का 5.3 प्रतिशत के भीतर रखने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले साल में भी हम इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे।