अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आयकर विभाग से वोडाफोन कर मामले में अपील नहीं करने की सलाह दी है। बंबई उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि ट्रांसफर प्राइसिंग मामले में वोडाफोन पर 3,200 करोड़ रुपये आयकर की देनदारी नहीं बनती है।
रोहतगी ने कहा, ‘मैंने आयकर विभाग से कहा है कि वह उच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करे। मैंने अपनी राय में कहा है कि अपील दायर करने की जरूरत नहीं है।’ अटार्नी जनरल ने कहा कि वह इस मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन की राय से सहमत हैं।
उनकी यह राय इन खबरों के बाद आई है कि आयकर विभाग उच्च न्यायालय के 10 अक्तूबर के फैसले को चुनौती देने का इच्छुक है।
उच्च न्यायालय ने ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी को अपने आदेश से बड़ी राहत दी थी। आयकर विभाग ने कंपनी से यह अतिरिक्त आयकर चुकाने को कहा था। विभाग ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपनी अनुषंगी वोडाफोन इंडिया सर्विसेज के शेयरों को ब्रिटेन की मूल कंपनी को स्थानांतरित करते समय कम मूल्य करके आंका था। यह सौदा वित्त वर्ष 2009-10 में हुआ था।
ट्रांसफर प्राइसिंग का मुद्दों एक ही समूह की अलग अलग कंपनियों के बीच होने वाले सौदों से जुड़ा है। आमतौर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अनुषंगी कंपनियां विभिन्न देशों में होती हैं। समूह से बाहर की कंपनी के बीच जिस मूल्य पर सौदा हो सकता है उसी मूल्य पर समूह की कंपनियों के बीच हो इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है।