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भारत में 20,752 एकोस्पोर्ट गाड़ियों को वापस बुलाएगी फोर्ड...

कंपनी ने जानकारी दी है कि जनवरी, 2013 और सितंबर, 2014 के बीच कंपनी के चेन्नई प्लांट में बनी सभी फोर्ड एकोस्पोर्ट गाड़ियों का चेकअप किया जाएगा। इसे वॉलंटरी रिकॉल बताया जा रहा है।
NDTV Profit हिंदीKranti Sambhav
NDTV Profit हिंदी03:53 PM IST, 18 Dec 2014NDTV Profit हिंदी
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अगर आपके पास भी फोर्ड एकोस्पोर्ट है, तो फिर यह ख़बर आपके लिए ही है। कंपनी ने भारत में 20,752 फोर्ड एकोस्पोर्ट को वापस लेने का (रीकॉल करने का) ऐलान किया है, क्योंकि इन गाड़ियों में कुछ समस्याएं थीं। इन समस्याओं को ठीक करने के लिए कंपनी अब अपने ग्राहकों को लिखने वाली है।

कंपनी ने जानकारी दी है कि जनवरी, 2013 और सितंबर, 2014 के बीच कंपनी के चेन्नई प्लांट में बनी सभी फोर्ड एकोस्पोर्ट गाड़ियों का चेकअप किया जाएगा। इसे वॉलंटरी रिकॉल बताया जा रहा है, और यह कदम ग्राहकों की समस्याओं के मद्देनज़र उठाया जा रहा है। कंपनी के मुताबिक फोर्ड एकोस्पोर्ट पेट्रोल के दोनों वेरिएंट, एक लिटर एकोबूस्ट और 1.5 लिटर इंजिन, में फ्यूल और वेपर लाइन में जंग लगने का डर देखते हुए कंपनी वर्कशॉप में बुलाकर उन्हें ठीक करेगी।

वहीं एक और समस्या है, जिसे कंपनी इसी रीकॉल में ठीक करने की बात कर रही है, वह है टॉपएंड टाइटेनियम ऑप्शन में साइड एयरबैग ठीक से खुलने के लिए वायरिंग की समस्या को ठीक करना। फोर्ड ग्राहकों को लिख रही है कि वे पता करें और स्थानीय फोर्ड डीलर से संपर्क करें, जहां बिना ग्राहक के खर्चे के बदलाव किए जा सकें।

शुरुआत में भी फोर्ड ने अपनी फोर्ड एकोस्पोर्ट के डीज़ल वर्ज़न का रीकॉल किया था। हालांकि वह लॉन्च के आसपास का रीकॉल था, तो संख्या 972, यानि हज़ार से कम कारों की थी। उस वक्त डीज़ल वर्ज़न में ग्लो प्लग की समस्या थी। वैसे, कंपनी ने हाल में अपनी तीन हज़ार से ज़्यादा फिएस्टा गाड़ियां भी रीकॉल की थीं। इस रीकॉल का इंतज़ार तब से चल रहा था, जब ऑस्ट्रेलिया में फोर्ड ने भारत में बनी एकोस्पोर्ट को रीकॉल करने का ऐलान किया था। वहां पर साइड एयरबैग की समस्या बताई गई थी।

भले ही रीकॉल को लेकर कंपनियों की सांस अब वैसी नहीं फूलती, जैसे पहले फूलती थी। कंपनियां गाड़ियों को बुलाने में पहले बहुत ज़्यादा बचती थीं, बदनामी के डर से वे या तो छिपकर कारों को ठीक करती रही हैं या ग्राहकों को उनके हाल पर छोड़ती रही है, लेकिन अब कंपनियों की तरफ से रीकॉल का ऐलान पहले से ज़्यादा होता है। भले ही कंपनियां रीकॉल से वैसा कतराती न हों, ग्राहक डरते न हों, लेकिन भारत में बनकर एक्सपोर्ट होने वाली गाड़ियों की क्वालिटी को तो डबल चेक करने की ज़रूरत है ही, अगर दुनियाभर में 'मेक इन इंडिया' जैसी कोशिशों को सफल करना है।

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लेखकKranti Sambhav
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