काले धन के मामले में स्विट्जरलैंड पर भारत द्वारा दबाव बढ़ाए जाने के बीच पिछले करीब छह साल में विदेशी ग्राहकों ने वहां के बैंकों से 350 अरब स्विस फ्रैंक (करीब 25 लाख करोड़ रुपये) की राशि निकाली है।
पीडब्ल्यूसी के एक नए अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। हालांकि इस अध्ययन रिपोर्ट में ऐसा कोई विशिष्ट आंकड़ा नहीं है, जिसके आधार पर कहा जा सके कि वहां से निकाले गए धन में कितनी राशि भारतीयों की थी। पर इसमें से 100 अरब स्विस फ्रैंक की राशि वहां अघोषित तौर पर जमा धनराशियों की घोषणा संबंधी जुर्मानों के रूप में विदेशों को दी गई।
वैश्विक सलाहकार कंपनी प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की स्विस इकाई द्वारा किए गए अध्ययन में स्विट्जरलैंड के 90 निजी बैंकिंग संस्थानों की सालाना रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा इसमें स्विस केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण एसएनबी सहित अन्य सार्वजनिक आंकड़ों का भी विश्लेषण किया गया है।
पीडब्ल्यूसी ने कहा कि हमारा अनुमान है कि पिछले छह साल में विदेशी ग्राहकों ने शुद्ध रूप से बैंकों के प्रबंधन के तहत 350 अरब स्विस फ्रैंक की राशि निकाली है। रिपोर्ट के अनुसार इसमें 100 अरब स्विस फ्रैंक का निकासी कर नहीं चुकाई गई राशि की घोषणा के संदर्भ में जुर्माने के भुगतान से संबंधित है।
इस तरह अध्ययन में पाया गया है कि इस प्रकार 250 अरब स्विस फ्रैंक की राशि स्विट्जरलैंड के बैंकों से निकालकर ग्राहक अपने देश या किसी अन्य वित्तीय केंद्र ले गए हैं।
स्विट्जरलैंड को काले धन की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है। हाल के बरसों में भारत सहित अन्य देशों ने स्विट्जरलैंड से ऐसे बैंक खातों की जानकारी के लिए दबाव बढ़ाया है। ऐसे में स्विट्जरलैंड को भारत और अन्य देशों के साथ अपनी कर संधियों में संशोधन करना पड़ा है, जिससे सूचना के आदान प्रदान के ढांचे का विस्तार किया जा सके। इसके चलते बड़ी संख्या में ग्राहक स्विस बैंकों से पैसा निकाल रहे हैं।
स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2013 में स्विस बैंकों में विदेशी ग्राहकों का धन रिकॉर्ड निचले स्तर 1,320 अरब स्विस फ्रैंक यानी 90 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। हालांकि, साल के दौरान स्विस बैंकों में भारतीयों का धन करीब 40 फीसद बढ़कर 14,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जिसमें इससे पिछले कुछ साल में गिरावट आई थी। 2006 के अंत तक स्विस बैंकों में भारतीय का धन 6.5 अरब स्विस फ्रैंक के रिकॉर्ड स्तर पर था। हालांकि, लगातार चार साल गिरावट के बाद 2010 में यह 4 अरब स्विस फ्रैंक पर आ गया था।