प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों से वृद्धि, रोजगार सृजन और निवेश गतिविधियों में वृद्धि के लिए मतभेद भुलाकर काम करने की अपील की और उनसे परियोजना की धीमी रफ्तार के कारणों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने को कहा।
नवगठित राष्ट्रीय भारत-परिवर्तन संस्थान (नीति आयोग) की संचालन परिषद की पहली बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने सुझाव दिया कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन को तेज करने और उनसे संबंधित लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए हर राज्य को अपने यहां एक अधिकारी विशेष को जिम्मेदारी देनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने गरीबी को देश की एक बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि नवगठित नीति आयोग सहकारी व प्रतिस्पर्धी संघवाद का मॉडल विकसित करेगा। नीति आयोग ने छह दशक पुराने योजना आयोग की जगह ली है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए 'बौद्धिक संस्थान' के रूप में काम तो करेगा ही, साथ ही नीति की दिशाएं भी सुझाएगा। प्रधानमंत्री आयोग के अध्यक्ष हैं।
रविवार की इस बैठक में 31 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के कई मुख्यमंत्रियों तथा उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मोदी ने कहा, अपने सभी मतभेद भुलाते हुए हमें निवेश, वृद्धि, रोजगार व समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने 66 केंद्रीय योजनाओं को तर्कसंगत बनाने, कौशल विकास तथा स्वच्छ भारत कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्रियों के तीन उप-समूहों के गठन की भी घोषणा की। पहला उपसमूह यह सुझाएगा कि कौन सी केंद्रीय योजनाएं जारी रखी जानी चाहिए और किसे बंद किया जाना चाहिए और किन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्यों को स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
मोदी ने कहा, सबको एक तराजू में तौलने वाली योजनाओं के तरीके छोड़ेंगे और योजनाओं व राज्यों की जरूरत के हिसाब से योजना पेश करने पर ध्यान देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्सर योजनाएं समय पर निर्णय नहीं होने के कारण अटक जाती हैं। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से ऐसे कारणों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने को कहा, जिनके कारण परियोजनाओं की रफ्तार धीमी होती है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से, निवेश चक्र, आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और संबृद्धि पर ध्यान देने की अपील की।
उन्होंने राज्यों से गरीबी उन्मूलन तथा कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए दो अलग-अलग कार्यबल गठित करने को भी कहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुईं, पर बैठक में राजनीतिक मोर्चे पर संकट में घिरे बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी मौजूद रहे।
इसके अलावा बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, पंजाब के प्रकाश सिंह बादल, तमिलनाडु के ओ पनीरसेल्वम, केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अलावा बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी भाग लिया।