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अरविंद केजरीवाल ने दिया मुकेश अंबानी, मोइली, देवड़ा, वीके सिब्बल पर केस दर्ज करने का आदेश

इस मामले में कथित घपले की जांच के लिए देश के पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, मुरली देवड़ा, मुकेश अंबानी, वीके सिब्बल और अन्य के खिलाफ एसीबी में शिकायत दर्ज कराई जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने महंगाई के लिए इस प्रकार के भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है।
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NDTV Profit हिंदी03:15 PM IST, 11 Feb 2014NDTV Profit हिंदी
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दिल्ली सरकार ने कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन की रिलायंस गैस परियोजना की प्राकृतिक के मूल्य निर्धारण में अनियमितताओं की शिकायत के मद्देनजर आज पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, पूर्व मंत्री मुरली देवड़ा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने का आदेश दिया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार-निरोधक शाखा (एसीबी) से पूर्व मंत्रिमंडल सचिव टीएसआर सुब्रमणियन, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल आरएच ताहिलयानी, जानी-मानी वकील कामिनी जायसवाल और पूर्व व्यय सचिव ई ए सरमा की शिकायत पर जांच करने के लिए कहा गया है।

उन्होंने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा 'आज हमने एसीबी से इस मामले की जांच करने के लिए कहा है। हम मुरली देवड़ा के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज कर रहे हैं। मोइली, मुकेश अंबानी, हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय के पूर्व प्रमुख वीके सिब्बल, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दायर की जा रही है।'

शिकायत का जिक्र करते हुए केजरीवाल ने कहा कि रिलायंस ने देश के कुछ मंत्रियों के साथ मिलकर उत्पादन की लागत से ज्यादा गैस के दाम रखे हैं और जरूरत के अनुसार गैस का उत्पादन भी नहीं किया है।

उनका आरोप है कि देश में गैस के दाम बढ़ाने की यह साजिश की जा रही है। उनका कहना है कि बिजली कंपनियां भी मजबूरन महंगी बिजली देंगी, खाद के दाम भी बढ़ेंगे। केजरीवाल ने कहा कि रिलायंस ने 1 अप्रैल से 8 डॉलर प्रति घन मीटर का दाम तय किया है जो उत्पादन की लागत से काफी ज्यादा है।

आरोप है रिलायंस को केंद्र सरकार को कुछ कुएं दिए गए थे। केजरीवाल का आरोप है कि वर्ष 2000 में जब कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ था, तब तय हुआ 17 साल के लिए ये एनटीपीसी को 2.3 डॉलर पर यूनिट की दर पर गैस देंगे।लेकिन रिलायंस ने ऐसा नहीं किया।

केजरीवाल का कहना है कि फिर इनकी नीयत पलट गई और मंत्रियों से मिली भगत कर इस चार डॉलर प्रति यूनिट करवा लिया। इसके बाद लालच के चलते रिलायंस ने गैस उत्पादन कम किया और 18 प्रतिशत के करीब ही उत्पादन किया।

उनका कहना है कि 1 अप्रैल से यह दाम 8 डॉलर का रेट रखा है।

शिकायत का हवाला देते हुए केजरीवाल ने कहा कि गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से आरआईएल को 54,000 करोड़ रुपये सालाना का मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने आरोप लगाया 'कैग ने इन तेल-कुओं का लेखा परीक्षण किया था और अपनी रपट में कहा है कि रिलायंस को समय समय पर कुल 1.25 लाख करोड़ रुपये का अप्रत्याशित मुनाफा हुआ है।'

केजरीवाल ने कहा कि आरआईएल ने केजी-डी6 क्षेत्र से 2.3 डॉलर प्रति इकाई की दर से गैस देने का 2000 में अनुबंध किया था।

उन्होंने कहा 'लेकिन थोड़े दिन बाद उन्होंने अपना रुख बदल दिया और कुछ मंत्रियों के साथ मिली-भगत से गैस की कीमत चार डॉलर प्रति इकाई करा दिया। लेकिन लालच नहीं खत्म नहीं हुआ। इस शिकायत में ये आरोप लगाए गए हैं।'

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उत्पादन लागत बढ़ाने के बावजूद आरआईएल ने अधिक गैस का उत्पादन नहीं किया ताकि वे 'सरकार को और ब्लैकमेल कर सकें।' उन्होंने दावा किया 'उन्हें आठ करोड़ इकाई गैस का उत्पादन करना था लेकिन उनका उत्पादन उसका 18 प्रतिशत ही रहा। इससे बनावटी कमी पैदा हुई गैस का आयात बढ़ा जिसके कारण देश में महंगाई बढ़ी।'

केजरीवाल ने शिकायत का हवाला देते हुए कहा कि सरकार की गैस की कीमत बढ़ाने की दलील गैस की अंतरराष्ट्रीय कीमत पर आधारित है न कि अस्वीकार्य उत्पादन लागत पर।

उन्होंने कहा 'मूल बात यह है कि वे कीमत बढ़ाने का कोई तरीका ढूंढ रहे थे। शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि इस परियोजना में रिलायंस की भागीदार निको अभी भी बांग्लादेश को 2.34 डॉलर प्रति इकाई पर गैस प्रदान कर रही है।'

इस मामले में कथित घपले की जांच के लिए देश के पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, मुरली देवड़ा, मुकेश अंबानी, वीके सिब्बल और अन्य के खिलाफ एसीबी में शिकायत दर्ज कराई जा रही है। उनका कहना है कि देश में जल्द ही सीएनजी और गैस के दाम दुगने होने वाले हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने महंगाई के लिए इस प्रकार के भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है।

दिल्ली सरकार ने आरोप लगाया है कि सीएजी ने भी इस मामले में कहा है कि रिलायंस को विंडफाल लाभ दिए जाने की पूरी व्यवस्था की गई है।

केजरीवाल ने कहा, पीएम को चिट्ठी लिखूंगा कि जब तक जांच चलेगी, तब तक उस आदेश को रोका जाए जिसके तहत आठ डॉलर का रेट तय किया गया है। दूसरा सरकार के सभी मंत्रालय सहयोग करें। तीसरा, यदि रिलायंस जानबूझकर कम उत्पादन कर रहा है तब, सरकार को कुएं को लेकर सरकारी कंपनी को क्यों न दे।

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