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क्या दुनियाभर में फिर छाने वाली है मंदी...? अर्थव्यवस्था के 10 टॉप ट्रेंड...

NDTV के डॉ प्रणय रॉय तथा मॉर्गन स्टैनले के रुचिर शर्मा ने वर्ष 2016 के टॉप 10 ट्रेंड को पहचानकर उनकी व्याख्या की है, जिनसे वैश्विक अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ारों का भविष्य तय होगा...
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NDTV Profit हिंदी01:05 PM IST, 11 Jan 2016NDTV Profit हिंदी
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वैश्विक अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2016 में कई दशकों में सबसे बुरी शुरुआत देखी, और बहुत बड़ा सवाल सामने खड़ा हो गया कि क्या दुनिया वर्ष 2008 की तरह एक बार फिर आर्थिक मंदी की दिशा में बढ़ रही है, या अर्थव्यवस्था में वापसी उछाल का वक्त आ गया है...

NDTV के डॉ प्रणय रॉय तथा मॉर्गन स्टैनले के रुचिर शर्मा ने वर्ष 2016 के टॉप 10 ट्रेंड को पहचानकर उनकी व्याख्या की है, जिनसे वैश्विक अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ारों का भविष्य तय होगा...

रुचिर शर्मा की कही बातों के मुख्य अंश इस प्रकार हैं...

पहला ट्रेंड : हर आठ साल में एक बार वैश्विक मंदी - सो एक और मंदी या आ गया वापसी उछाल का वक्त...?

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था कमज़ोर है, और कमज़ोर होती जा रही है...
  • वर्ष 2008 के संकट के बाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 2015 अब तक का सबसे बुरा साल रहा...
  • इतिहास गवाह है कि मंदी के बाद अर्थव्यवस्थाओं में विस्तार और फैलाव होते रहे हैं...
  • मौजूदा आर्थिक फैलाव चरम सीमा तक पहुंच गया है, और अब सिर्फ उतार मुमकिन है...
  • हमें नज़र रखनी होगी कि अर्थव्यवस्था को क्या चीज़ झटका दे सकती है...
  • चीन पर करीबी नज़र रखनी होगी...
दूसरा ट्रेंड : चीन सबसे कमज़ोर कड़ी है...
  • चीन की अर्थव्यवस्था ज़रूरत से ज़्यादा बड़ी हो गई है...
  • अतीत में रिकॉर्ड कर्ज़ की वजह से चीन ने वृद्धि दर्ज की...
  • चीन के सिर पर मौजूद कर्ज़ उसके कमज़ोर होने की वजह बना...
  • चीन की अर्थव्यवस्था पर ज़रूरत से ज़्यादा कर्ज़ हो गया...
  • चीन मौजूदा समय में वैश्विक आर्थिक आउटपुट का 10 फीसदी हिस्सा है...
  • छोटी अवधि में ज़्यादा कर्ज़ हमेशा खतरे की घंटी होता है...
  • पांच साल में कर्ज़ में 40 फीसदी बढ़ोतरी खतरे का निशान है...
  • चीन के कर्ज़ प्रोफाइल (debt profile) में तेज़ी से गिरावट नज़र आई है...
  • चीन अपनी अर्थव्यवस्था पर ज़रूरत से ज़्यादा कर्ज़ की ही कीमत चुका रहा है...
तीसरा ट्रेंड : क्या चीन की यह बीमारी भारत पर वार करेगी...?
  • वर्ष 2015 में वैश्विक व्यापार वृद्धि गिरकर शून्य पर आ गई...
  • पिछले मौके याद करें तो मंदी के दौरान वैश्विक व्यापार वृद्धि शून्य फीसदी रही...
  • भारतीय निर्यात गिरकर ऋणात्मक पांच फीसदी पर पहुंचा...
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में 8-9 फीसदी की वृद्धि नहीं हो सकती, अगर निर्यात ऋणात्मक पांच फीसदी पर हो...
  • भारत प्रोटेक्शनिस्ट पॉलिसी को सबसे ज़्यादा अपनाने वाला देश बन गया है...
  • भारत ने प्रोटेक्शनिज़्म ट्रबलिंग (protectionism troubling) को बढ़ाया...
  • वर्ष 2015 के दौरान भारत ने दूसरा सबसे बड़ा प्रोटेक्शनिस्ट कदम उठाया...
  • कॉरपोरेट भारत की हालत खस्ता है...
  • भारतीय उद्योग ने 2015 के दौरान बिक्री में शून्य फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की...
  • भारतीय उद्योग के लिए मुनाफा वृद्धि के ऋणात्मक रहने की आशंका...
  • सकल घरेलू उत्पाद और कॉरपोरेट के प्रदर्शन में कोई तालमेल नहीं रहा है...
  • भारत की डाटा विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है...
चौथा ट्रेंड : कमॉडिटी कीमतें वापस सामान्य हो रही हैं...
  • कमॉडिटी की मौजूदा कीमतें लगभग 200 साल के औसत पर हैं...
  • कमॉडिटी कीमतें इस चक्र में चलती हैं - एक दशक तक उछाल, दो दशक तक गिरावट...
  • तेल कीमतें भी 100 साल के औसत से ज़्यादा दूर नहीं...
  • तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा...
  • अगले 10 सालों में 70-80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तेल की अधिकतम कीमत रहेगी...
  • अमेरिका के लिए 2016 में सबसे बड़ा खतरा : ऊर्जा कंपनियों का दिवालिया होना...
  • तेल कीमतों में इससे ज़्यादा गिरावट दुनियाभर के लिए बुरी ख़बर...
  • तेल कीमतों का 50-60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रहना भारत के लिए बढ़िया...
पांचवां ट्रेंड : वैश्विक मुद्रावनति (Global Disinflation) का असर है भारत पर...
  • दरअसल, भारत की मुद्रास्फीति की समस्या हल नहीं हुई है, और अब तक मुद्रास्फीति में दिखी गिरावट वैश्विक मुद्रावनति का असर है...
  • भारत में मुद्रास्फीति में आई गिरावट दरअसल कमॉडिटी कीमतों में वैश्विक कमी के चलते आई है...
छठा ट्रेंड : अमेरिकी फेडरल रिजर्व के लिए दरों को बढ़ाना काफी मुश्किल...
  • वित्तीय सुपरपॉवर के रूप में अमेरिका इससे बड़ा कभी नहीं रहा...
  • दुनिया की 50-60 फीसदी मुद्राएं अमेरिकी डॉलर से जुड़ी हैं...
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व को वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति जागरूक रहना पड़ता है...
  • यह कल्पना करना मुश्किल है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों को ज़्यादा बढ़ाए...
  • अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमा होने के संकेत दे रही है...
सातवां ट्रेंड : रुपया सस्ता, अन्य और भी सस्ते...
  • आर्थिक रूप से उभरते हुए देशों की मुद्राओं ने भयंकर गिरावट देखी...
  • भारतीयों के लिए विदेश यात्राएं करने का शानदार समय...
  • आर्थिक रूप से उभरते हुए देशों की मुद्राओं ने काफी सामंजस्य बिठाया है...
आठवां ट्रेंड : ज़माना आया FANG का, BRIC हुआ पुराना...
  • इस दशक में FANG काफी ज़ोर पकड़ता दिखा...
  • अनलिस्टेड होने के बावजूद कंपनियों को फंड मिलते रहे...
  • एक अरब डॉलर के कारोबार के स्तर पर पहुंच चुकी स्टार्ट-अप कंपनियों (unicorn) का दुनियाभर में अभ्युदय...
  • ज़्यादा कंपनियां अब प्राइवेट रहने की ज़्यादा इच्छुक...
  • किसी मार्केट में लिस्ट होना अब उतना आकर्षक नहीं रहा...
  • यूनिकॉर्न कंपनियों के लिए फंडिंग अब मुश्किल हो जाएगी...
नवां ट्रेंड : भारत के सार्वजनिक सेक्टर की समस्या...
  • ऋण वृद्धि में जोरदार गिरावट आई है...
  • भारत को अपना बैंकिंग सिस्टम ठीक करना होगा...
  • सरकारी दखलअंदाज़ी की गैर-मौजूदगी की वजह से प्राइवेटाइज़ेशन...
  • उभरती दुनिया के 30 फीसदी औसत के मुकाबले सार्वजनिक बैंकों के पास परिसंपत्तियों का 70 फीसदी हिस्सा...
  • सार्वजनिक बैंकों के पास ऐसे ऋण बहुत ज़्यादा मात्रा में हैं, जिनका भुगतान नहीं हो रहा है...
  • सार्वजनिक बैंकों के ऐसे ऋणों की वजह से ऋण वृद्धि में रुकावट आ रही है...
दसवां ट्रेंड : दुनियाभर में राजनैतिक संकट बढ़ रहा है...
  • दुनियाभर में एन्टी-इनकम्बेंसी की लहर फैल रही है...
  • वैश्विक एन्टी-इनकम्बेंसी कमज़ोर आर्थिक परिदृश्य की ही देन...
  • शीतयुद्ध के युग के बाद से वर्ष 2015 में सबसे ज़्यादा हिंसक संघर्ष देखे गए...
  • भू-राजनैतिक खतरों के आसार ज़्यादा दिख रहे हैं...
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लेखकNDTVProfit.com
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