ADVERTISEMENT

सरकार ने रिलायंस को फायदा पहुंचाने के आरोपों को खारिज किया

सरकार ने कहा है कि रिलायंस ने यह ब्लॉक खुली अंतरराष्ट्रीय बोली के तहत हासिल किया, नामांकन के आधार पर सीधे इसका आवंटन नहीं किया गया।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी08:10 PM IST, 01 Nov 2012NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

सरकार ने रिलायंस को फायदा पहुंचाने के आरापों का गुरुवार को खंडन किया। उसने कहा है कि रिलायंस ने यह ब्लॉक खुली अंतरराष्ट्रीय बोली के तहत हासिल किया, नामांकन के आधार पर सीधे इसका आवंटन नहीं किया गया।

सरकार ने वर्ष 1999 में नई तेल उत्खनन लाइसेंसिंग पॉलिसी (नेल्प) के तहत केजी डी-6 तथा 23 अन्य ब्लॉक के लिए खुली बोलियां आमंत्रित की थी। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार नेल्प को चार साल तक व्यापक सार्वजनिक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया और इसमें दुनियाभर में अपनाई जाने शर्तों को शामिल किया गया है।

अधिकारी के अनुसार रिलायंस ने ओएनजीसी, गेल और केयर्न एनर्जी के मुकाबले क्षेत्र के लिए वाणिज्यिक और तकनीकी मानकों पर बेहतर पेशकश कर केजी डी6 ब्लॉक हासिल किया और अप्रैल 2000 में उत्पादन भागीदारी अनुबंध (पीएससी) पर हस्ताक्षर किए।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे संगठन ‘इंडिया अगेंस्ट क्रप्शन (आईएसी)’ ने बुधवार को सरकार पर मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। संगठन के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाकर भारी रियायत देकर रिलायंस को केजी डी6 गैस क्षेत्र आवंटित कर दिया।

रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े एक सूत्र के अनुसार पीएससी और नीलामी की शर्तें दोनों को ही सार्वजनिकतौर पर प्रकाशित किया जाता है और यह 1999 से ही सार्वजनिकतौर पर उपलब्ध हें। ‘‘यह अचरज की बात है कि प्रशांत भूषण जैसे नामी वकील ने इन दोनों ही मामलों को नजरंदाज किया और भ्रामक बातें कर रहे हैं।’’

केजी बेसिन की लागत 2.47 अरब डॉलर से बढ़कर 8.8 अरब डॉलर तक पहुंचने के बारे में पूछे जाने पर रिलायंस सूत्र ने कहा कि पूरी दुनिया में इस तरह की परियोजनाओं में लागत में होने वाली वृद्धि के साथ ही यहां भी लागत बढ़ती है। इसके पूरे दस्तावेज तैयार किये जाते हैं।

उन्होंने कहा कि रिलायंस ने सरकार को पहले ही बता दिया है कि उसने क्षेत्र में 5.7 अरब डॉलर खर्च किए हैं और अप्रत्याशित भूगर्भिय जटिलताओं को देखते हुए 8.8 अरब डॉलर में से 3 अरब डॉलर अब खर्च करने की आवश्यकता नहीं है।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT