उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उड़ीसा हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया, जिसमें दक्षिण कोरियाई इस्पात कंपनी पॉस्को को प्रदेश में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र के लिए सुंदरगढ़ जिले में खंडधार पहाड़ी में लौह अयस्क लाइसेंस आवंटित करने संबंधी राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की पीठ ने केंद्र से कहा कि है वह इस वृहद इस्पात संयंत्र से जुड़े सभी पक्षों की आपत्तियों पर विचार करे और फैसला करे। उच्चतम न्यायालय लौह अयस्क खानों के आवंटन के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और एक अन्य खनन कंपनी की और से एक-दूसरे के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था।
ओडिशा सरकार और जियोमिन मिनरल्स एंड मार्केटिंग लिमिटेड ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसने खंडधार पहाड़ियों में करीब 2,500 हेक्टेयर क्षेत्र में लौह अयस्क खनन के संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को पलट दिया था। उच्च न्यायालय ने 14 जुलाई, 2010 को जियोमिन मिनरल्स की याचिका पर राज्य सरकार के फैसले को दरकिनार कर दिया था।
जियोमिन मिनरल्स ने उच्च न्यायालय के सामने दलील दी थी कि उसने पॉस्को के आवेदन से बहुत पहले खंडधार लौह अयस्क खानों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार ने 1987 से पहले केंद्र सरकार की अनुमति के बिना जो भी खनन क्षेत्र आरक्षित किया है, वह आरक्षित नहीं माना जाएगा।