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पढ़ें, क्यों मुकद्दर की बाजी हार रहा है सिकंदर का ग्रीस

आर्थिक संकट से जूझ रहे ग्रीस के लिए आज इम्तिहान की घड़ी है। ग्रीस पर 11 लाख करोड़ रुपए से ज्‍यादा के कर्ज की पहली किस्‍त 12 हजार करोड़ रुपए चुकाने की डेडलाइन आज खत्‍म हो रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अपनी इस डेडलाइन को तब तक आगे बढ़ाने को तैयार नहीं है, जब तक ग्रीस उसकी शर्तें नहीं मान लेता।
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NDTV Profit हिंदी08:41 AM IST, 30 Jun 2015NDTV Profit हिंदी
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जिस सिकंदर ने दुनिया को जीता, आज उसी का ग्रीस बाजार की बाजी हारता दिख रहा है। अगर वह अपना कर्ज न चुका पाया, तो वह 21 वीं सदी का पहला डिफॉल्‍टर देश होगा। आर्थिक संकट से जूझ रहे ग्रीस के लिए आज इम्तिहान की घड़ी है। ग्रीस पर 11 लाख करोड़ रुपए से ज्‍यादा के कर्ज की पहली किस्‍त 12 हजार करोड़ रुपए चुकाने की डेडलाइन आज खत्‍म हो रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) अपनी इस डेडलाइन को तब तक आगे बढ़ाने को तैयार नहीं है, जब तक ग्रीस उसकी शर्तें नहीं मान लेता। वैसे, IMF समय सीमा नहीं बढ़ाता, लेकिन संभव है कि वह ग्रीस को 5 जुलाई तक का समय दे दे।

यूरो जोन की बैठक पर ग्रीस और दुनिया की नजर
गहराते संकट के बीच दुनिया भर के शेयर बाजारों की नजर 5 जुलाई को होने वाले जनमत संग्रह पर टिकी हैं। इस दिन ग्रीस के नागरिक इस बात पर मतदान करेंगे कि उनके देश को शर्तें मान लेनी चाहिए या ? हालांकि अगर ग्रीस ने आर्थिक सुधारों की मांग को खारिज कर दिया तो वह 20 जुलाई को होने वाली यूरो जोन की बैठक में डिफॉल्टर घोषित कर यूरोपियन और यूरो जोन से बाहर कर दिया जाएगा।

सभी बैंक बंद, एटीएम से एक दिन में 60 यूरो से ज्‍यादा नहीं निकाल सकते लोग
देश के आर्थिक संकट जूझने की वजह से हालात यह हो चले हैं कि वहां 6 जुलाई तक सारे बैंक बंद कर दिए गए हैं। यहां तक की एटीएम से भी एक दिन में 60 यूरो (करीब 4300 रुपए) से ज्‍यादा निकालने पर रोक लगा दी गई हैं। लिहाजा, एटीएम पर लोगों की भारी भीड़ लगी हुई हैं। लोग बिना इजाजत के देश से बाहर पैसा नहीं भेज सकते हैं और स्टॉक एक्सचेंज भी बंद हो गया है। दरअसल, ग्रीस पर 11.14 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। यह जीडीपी का 175% है।  

ग्रीस संकट से निपटने के लिए अभी कोई ठोस योजना नहीं : भारत सरकार
ग्रीस संकट से निपटने के लिए भारत सरकार के पास अभी कोई ठोस योजना नहीं है। वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा है कि ग्रीस के आर्थिक संकट के चलते भारत से पूंजी निकासी जोर पकड़ सकती है और सरकार स्थिति से निपटने के लिए रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर रही है। उन्होंने कहा कि यूनान के हालात का भारत पर सीधा असर नहीं होगा, हालांकि यूरोप के जरिये पूंजी प्रवाह और निकासी पर इसका असर पड़ सकता है।

महर्षि ने मीडिया से कहा, यूनान संकट का भारत पर कोई सीधा असर नहीं होगा। यूरोप में ब्याज दर बढ़ सकती है। यूरोप में ब्याज दर में बढ़ोतरी की स्थिति में भारत से पूंजी निकासी जोर पकड़ सकती है। उन्होंने कहा कि हालात बदल रहे हैं। अभी कोई ठोस योजना नहीं है, जिस पर अमल किया जाए। इस संकट से यूरो पर असर पड़ने की वजह से भारत पर भी इसका अप्रत्यक्ष असर पड़ सकता है।

वैसे, भारत का कर्ज जीडीपी के मुकाबले 68 फीसदी है। भारत के कुल निर्यात में ग्रीस का हिस्सा 0.1% है, जबकि आयात में 0.03% है। लिहाजा, दिक्‍कत मुद्रा की वजह से आएगी। अगर यूरो ज्यादा गिरा तो यूरो जोन को निर्यात प्रभावित होगा।

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