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आर्थिक आंकड़े और मानसून की चाल तय करेंगे बाजार की दिशा

अगले हफ्ते शेयर बाजार की चाल भारत के उत्पादन क्षेत्र के मासिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों की रफ्तार, एफपीआई द्वारा किए जाने वाले निवेश, घरेलू संस्थापक निवेशकों के निवेश, डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत, कच्चे तेल के दाम और मानसून की रफ्तार मिलकर तय करेंगे.
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NDTV Profit हिंदी12:25 PM IST, 28 Aug 2016NDTV Profit हिंदी
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अगले हफ्ते शेयर बाजार की चाल भारत के उत्पादन क्षेत्र के मासिक आंकड़े, वैश्विक बाजारों की रफ्तार, विदेशी संस्थापक निवेशकों (एफपीआई) द्वारा किए जाने वाले निवेश, घरेलू संस्थापक निवेशकों (डीआईआई) के निवेश, डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत, कच्चे तेल के दाम और मानसून की रफ्तार मिलकर तय करेंगे.

निवेशकों की नजर मानसून की चाल पर रहेगी. भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 25 अगस्त को कहा कि अब तक देश भर में दीर्घकालिक औसत (एलपीए) से तीन फीसदी कम बारिश हुई है. हालांकि मानसून का दौर अभी जारी है और आगे भी बारिश होने की अनुमान
लगाया गया है.

वाहन कंपनियां एक सितंबर को अगस्त में हुई बिक्री का आंकड़ा जारी करेंगी. वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां इस महीने के अंत में तेल कीमतों की समीक्षा करेंगी. अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों को ध्यान में रखते हुए महीने में दो बार तेल कीमतों की समीक्षा की जाती है. पिछली समीक्षा इस महीने के मध्य में की गई थी और अब यह महीने के अंत में 31 अगस्त को की जाएगी.

कॉरपोरेट आकंड़ों में डीएलएफ और एमओआईएल सोमवार को वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के आंकड़े जारी करेंगी. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के आंकड़े सोमवार को जारी करेगी तथा शेयरों के लिए बोनस की भी घोषणा करेगी. भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) वर्तमान वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजे बुधवार को जारी करेगी.

वहीं, व्यापक आर्थिक आंकड़ों में उत्पादन क्षेत्र के अगस्त के पीएमआई आंकड़े गुरुवार को जारी किए जाएंगे. वैश्विक स्तर पर अमेरिकी फेड रिजर्व की चेयरमैन जेनेट येलेन ने शुक्रवार देर रात दिए अपने भाषण में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के प्रति उम्मीद जताते हुए आने वाले समय में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के संकेत दिए हैं.

येलेन द्वारा ब्याज दरों में बढोतरी के संकेत को देखते हुए निवेशक सहमे हुए हैं और उनकी नजर सोमवार को होने वाले अमेरिकी ब्याज दरों के ऐलान पर टिकी हैं. अगर अमेरिकी बाजार में ब्याज दरें बढ़ती हैं तो विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकाल कर अमेरिकी बजार में लगाने लगेंगे, जिसके असर भारतीय शेयर बाजारों में तेज गिरावट की आशंका है.

 

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