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पांच फीसदी की निम्न दर के साथ जीएसटी का प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा : विशेषज्ञ

रोजमर्रा की जरूरी चीजों को शून्य कर और व्यापक उपभोग की अधिकतर वस्तुओं को पांच प्रतिशत की निचली कर दर में रखने से प्रभाव में आने वाली नई वस्तु एवं सेवाकर प्रणाली का प्रतिकूल असर नहीं होगा.
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NDTV Profit हिंदी01:09 PM IST, 04 Nov 2016NDTV Profit हिंदी
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रोजमर्रा की जरूरी चीजों को शून्य कर और व्यापक उपभोग की अधिकतर वस्तुओं को पांच प्रतिशत की निचली कर दर में रखने से प्रभाव में आने वाली नई वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली का प्रतिकूल असर नहीं होगा. यह विचार कई कर विशेषज्ञों ने जीएसटी परिषद द्वारा जीएसटी की पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत दर तय किए जाने पर रखे. गौरतलब है कि सरकार का इस व्यवस्था को अगले साल 1 अप्रैल से लागू करने का प्रयास है.

डेलोइटे हासकिंस एंड सेल्स के प्रशांत देशपांडे ने कहा कि वस्तुओं के लिए विभिन्न कर दायरे तय किए गए हैं, लेकिन सेवाओं पर कर को लेकर स्थिति साफ नहीं है. उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि इसके लिए एकल कर ढांचा होगा.'

शारदुल अमरचंद मंगलदास के संदीप चिलाना ने कहा कि जीएसटी को लेकर मौजूदा प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनायी जाने वाली एकल दर व्यवस्था से अलग है. इस सामूहिक और चर्चा पर आधारित दृष्टिकोण को भारत की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जटिलताओं का सफलतापूर्वक समाधान करना चाहिए. बीएमआर एंड एसोसिएट्स एलएलपी में अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञ राजीव डिमरी ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं पर शून्य कर एक स्वागत योग्य कदम है. इसका वास्तविक फायदा ग्राहक को इस श्रेणी में शामिल की जाने वाली वस्तुओ से मिलेगा.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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