सरकार ने उन 87 कंपनियों और उनके निदेशकों का पता लगाने के लिए कदम उठाए हैं, जो जनता से धन जुटाने के बाद रातों-रात गायब हो गईं। गुजरात इस मामले में सबसे आगे है और वहां ऐसी कंपनियों की संख्या 26 है।
आंध्र प्रदेश में 13, तमिलनाडु में 10, महाराष्ट्र में नौ, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में पांच-पांच तथा उत्तर प्रदेश और बिहार में ऐसी चार-चार कंपनियां हैं। चंडीगढ़ और कर्नाटक में दो-दो तथा पंजाब और ओडिशा में एक-एक ऐसी कंपनी है।
कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार ब्योरे के मुताबिक ऐसी कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ संबद्ध राज्य की पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई गई है। अधिकारियों ने कहा कि ऐसी कंपनियों की तलाश कर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। पूंजी जुटाने के बाद यदि किसी कंपनी के दफ्तर तथा निदेशकों का पता नहीं चलता, तो उन्हें गायब की श्रेणी में रखा जाता है।
निगमित मामलों के दस्तावेज के मुताबिक इन कंपनियों, उनके प्रवर्तकों और निदेशकों के खिलाफ कंपनी कानून के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन कंपनियों पर वैधानिक रिटर्न नहीं दाखिल करने, प्रॉस्पेक्टस में झूठी सूचना देने और जनता से धोखाधड़ी कर उन्हें धन निवेश के लिए प्रेरित करने का आरोप है। कंपनी पंजीयक को निर्देश जारी किए गए हैं कि ऐसी कंपनियों की बैलेंस शीट और अन्य रिकॉर्ड की जांच की जाए और पता लगाया जाएगा कि सार्वजनिक इश्यू के जरिये धन जुटाने वाली इन कंपनियों ने इस धन का क्या इस्तेमाल किया।
कंपनी पंजीयक से कहा गया है कि वह ऐसी सूचीबद्ध कंपनियों के पंजीकृत कार्यालयों पर जाकर उनका सत्यापन करें, जिन्होंने अपनी बैलेंस शीट और वार्षिक रिटर्न में गलती की है।