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मैं सुपरमैन नहीं हूं : आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन

राजन ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में सुधार आगे चलकर वृद्धि के लिए सकारात्मक हो सकते हैं। ‘हम किसी औद्योगिक देश के केंद्रीय बैंक से कुछ अधिक कर सकते हैं। लेकिन कुछेक मामलों में हम कम कर सकते हैं।’
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NDTV Profit हिंदी11:00 AM IST, 13 Oct 2013NDTV Profit हिंदी
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रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने जब से पदभार संभाला है, उन्हें देश और विदेश के मीडिया में ‘रॉक स्टार’ की संज्ञा दी जा रही है। उनको लेकर चल रही चर्चाओं के बीच राजन ने कहा है कि वह सुपरमैन नहीं हैं।

अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राजन ने कहा, ‘उम्मीदें काफी ऊंची हैं। मैं सुपरमैन नहीं हूं। भारत में मुझे लेकर कुछ अधिक चर्चा है।’ यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष तथा विश्व बैंक की सालाना पूर्ण बैठक में शामिल होने आए राजन ने कहा, ‘मेरी पत्नी व दो बच्चे हैं।’

उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में सुधार आगे चलकर वृद्धि के लिए सकारात्मक हो सकते हैं। ‘हम किसी औद्योगिक देश के केंद्रीय बैंक से कुछ अधिक कर सकते हैं। लेकिन कुछेक मामलों में हम कम कर सकते हैं।’

राजन ने कहा कि उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं को कम समझा जाता है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार कई प्रकार के सुधार ला रही है, लेकिन नतीजे आने में कुछ समय लगेगा। राजन ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र और वास्तविक क्षेत्र के सुधारों के साथ आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ेगी।

भारत के आगामी आम चुनावों के बारे में राजन ने कहा कि वित्तीय मोर्चे पर कुछ अड़चनों से किसी चुनाव में सामान्य समस्याओं को देखने में दिक्कत आएगी। सरकार ने राजकोषीय मोर्चे पर जो प्रतिबद्धताएं की हैं उनके मद्देनजर खर्च हर दिशा में जा रहा है।

इस बीच, राजन ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रति पूर्ण विश्वास जताते हुए कहा है कि अमेरिकी डिफाल्ट यानी ऋण भुगतान में चूक की संभावना काफी कम है। राजन ने अमेरिका में भारतीय परिसंपत्तियों की बिक्री की संभावना से इनकार किया है। अमेरिकी ट्रेजरी बिल में भारतीय निवेश अनुमानत: 59.1 अरब डॉलर का है।
राजन ने कहा, ‘हम अमेरिका के चूक के मुद्दे को लेकर चिंतित नहीं हैं। हम अमेरिका में अपनी परिसंपत्तियां नहीं बेच रहे हैं। हमने उन्हें रोक कर रखा है।’

राजन ने कहा कि अमेरिका के लिए यह बेहतर होगा कि वह ऐसी वित्तीय नीतियां अपनाएं जो उसकी मौजूदा जरूरतों के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका की डेढ़ प्रतिशत की वृद्धि दर भी इतनी अधिक होगी, जिसका विश्व अर्थव्यवस्था स्वागत करेगी।

उन्होंने कहा कि अमेरिका में जो भी चूक होगी, वह तकनीकी होगी। ‘मेरी समझ में अमेरिका में डिफाल्ट की संभावना नहीं है, क्योंकि कौन सा भुगतान पहले करना है इसकी प्राथमिकता तय की जा सकती है।’

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