केंद्र में काम कर चुके एक पूर्व वरिष्ठ नौकरशाह ने मनमोहन सिंह की छवि एक ऐसे लाचार प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तुत की जो अपने ही मंत्रियों को काबू में नहीं रख पाए और उन मंत्रियों ने कोयला मंत्रालय में सुधारों के प्रयासों को पलीता लगा दिया। नौकरशाह ने इसके साथ ही सांसदों को 'ब्लैकमेलर व पैसा उगाही' करने वाला करार दिया है।
पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख ने सरकार में अपने अनुभवों पर आधारित किताब 'क्रूसेडर ऑर कांस्पीरेटर : कोलगेट एंड अदर ट्रूथ्स' के विमोचन के अवसर पर आरोप लगाया कि सरकारी उप्रकमों (पीएसयू) में निदेशकों व मुख्य कार्यकारियों की नियुक्ति के लिए 'खुलेआम' पैसा मांगा जाता है।
पारख दिसंबर 2005 में सेवानिवृत्त हुए। उनका दावा है कि शिबू सोरेन व दसारी नारायण राव समेत विभिन्न कोयला मंत्रियों तथा लगभग सभी दलों के सांसदों ने कोयला मंत्रालय में सुधार के प्रयासों को विफल किया जबकि प्रधानमंत्री सिंह इन सुधारों के पूरी तरह पक्ष में थे। पारख की राय है कि अगर ये नीतिगत सुधार कर दिए गए होते तो करोड़ों रुपये के कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले से बचा जा सकता था।
पारख ने संवाददाताओं से कहा, 'इन दो मंत्रियों ने कोयला ब्लॉकों को खुली नीलामी के जरिए आवंटित करने के मेरे प्रस्ताव का जमकर विरोध किया। दुर्भाग्य से, प्रधानमंत्री 2004 में मेरे द्वारा पेश प्रस्ताव पर अपने मंत्रियों को काबू में नहीं रख पाए.. मंत्रालय में मैंने देखा कि सार्वजनिक उप्रकमों (पीएसयू) के मुख्य कार्यकारियों व निदेशकों की नियुक्ति कैसे होती है।'
पारख ने कहा, 'निदेशकों व मुख्य कार्यकारियों की नियुक्ति के लिए खुला पैसा मांगा जाता है। मैंने सांसदों को ब्लैकमेलिंग करते व वसूली करते हुए देखा। इन सांसदों ने अधिकारियों को ब्लैकमेल किया, इन्होंने सरकारी कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों को ब्लैकमेल किया। मैंने देखा कि किस तरह मंत्रियों ने प्रधानमंत्री के फैसले को पलटा जबकि प्रधानमंत्री कोयला प्रखंडों की ऑनलाइन नीलामी के प्रस्ताव पर सहमत हो गए थे।'
पारख ने कहा, 'हमने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं जिसमें सरकारी अधिकारियों के लिए ईमानदारी व सम्मान के साथ काम करना मुश्किल हो गया है।' उन्होंने, हालांकि, यह भी कहा कि कोयला सचिव के रूप में उनके कार्यकाल में जो भी उपलब्धियां हासिल की गई वे उस दौरान की गई जबकि कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास था।
पारख ने कहा, 'जब मैं कोयला मंत्रालय में था, प्रधामंत्री ने मुझे पूरा समर्थन दिया। कोयला मंत्रालय में जो भी बदलाव आए वे प्रधानमंत्री के कारण आए। उन्होंने कोयला मंत्रालय में सुधारों का समर्थन किया। मनमोहन सिंह की सक्रिय भूमिका के चलते ही हम बहुत सारा काम करने में सक्षम रहे।'
यह पूछे जाने पर कि यदि सुधारों को लागू कर दिया गया होता तो क्या करोड़ों रुपये के कोलगेट घोटाले को रोका जा सकता था, तो पारेख का जवाब था, जी, अगर प्रधानमंत्री ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया होता तो ऐसा (बचाव) हो सकता था।'
सीबीआई द्वारा कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में दर्ज एक प्राथमिकी में पारख को भी नामजद किया गया है। पारख ने कहा कि अगर कोयला ब्लाकों की खुली नीलामी तथा कोयले की आनलाइन ब्रिकी की व्यवस्था प्रस्तावों के अनुसार कर दी गई होती तो यह पक्का था कि किसी तरह घोटाला नहीं हो पाता।