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'नई सरकार के बाद 20 लाख नौकरियों के अवसर बनेंगे'

मानव संसाधन बाजार के विशेषज्ञों की राय में चुनाव के बाद यदि स्थिर सरकार बनी, तो इस साल नियुक्ति गतिविधियों में 30-40 फीसदी का इजाफा होगा और 20 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
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NDTV Profit हिंदी02:44 PM IST, 06 Apr 2014NDTV Profit हिंदी
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मानव संसाधन बाजार के विशेषज्ञों की राय में आम चुनाव के बाद स्थिर सरकार बनी, तो इस साल नियुक्ति गतिविधियों में 30 से 40 फीसदी का इजाफा होगा और 20 लाख नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।

मानव संसाधन (एचआर) परामर्शकों तथा कार्यकारी खोज कंपनियों के अनुमानों के अनुसार, भारतीय कंपनियों को 2014 में अपनी मौजूदा कारोबारी जरूरतों के लिए 12 से 14 लाख नई भर्तियों की जरूरत होगी।

परामर्शकों ने कहा कि चुनाव बाद यदि नई सरकार के गठन के लिए कम से कम संख्या में दलों के गठबंधन की जरूरत पड़ी, तो सरकार में स्थिरता रहेगी और भर्तियों में काफी तेजी आएगी। उनका अनुमान है कि ऐसी स्थिति में 2014 के दौरान 20 लाख से अधिक नई नौकरियां मिलेंगी।

उनका विश्लेषण है कि भारतीय कंपनियों ने बीते साल विभिन्न क्षेत्रों में 10 लाख नई नौकरियां दी हैं, लेकिन आर्थिक नरमी की वजह से बड़े पैमाने पर छंटनियां भी हुईं। इस तरह नियुक्यिों में शुद्ध वृद्धि कम रही।

इन चुनावों में मतदान 7 अप्रैल से 12 मई तक चलेंगे। रोजगार बाजार में मीडिया, पीआर, कार्यक्रम प्रबंधन, बाजार शोध व सोशल मीडिया जैसे क्षेत्रों में नौकरियों में इजाफा हो रहा है। राजनीतिक दल भी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए काफी खर्च कर रहे हैं।

हालांकि, अभी जो नियुक्तियां हो रही हैं, वे अस्थायी प्रकृति की हैं और दीर्घावधि के स्थायी रोजगार में चुनाव नतीजों के बाद ही तेजी देखने को मिलेगी। चुनाव नतीजे 16 मई को आने हैं।

एचआर सलाहकार फर्म टीमलीज सर्विसेज की वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं सह संस्थापक रितुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, कम से कम गठबंधन सहयोगियों के साथ स्थिर सरकार बनने पर रोजगार बाजार में उल्लेखनीय सुधार होगा। उन्होंने कहा कि भारत को इस साल 20 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन करने की जरूरत है।

इसी तरह ग्लोबलहंट के प्रबंध निदेशक सुनील गोयल ने कहा कि यदि चुनाव के बाद स्पष्ट नतीजे आते हैं, तो नए रोजगार के अवसरों में 30 से 40 फीसदी का इजाफा होगा। विभिन्न रोजगार सूचकांकों के अनुसार माह-दर-माह आधार पर रोजगार बाजार में सुधार हो रहा है। एचआर विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिख रहे हैं और विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति सुधरने के बाद संगठित रोजगार बाजार में अवसर बढ़ेंगे।

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