चार साल तक मानसून में सामान्य और सामान्य से अधिक वर्षा के बाद भारत में इस साल मानसून के दौरान सामान्य से कम वर्षा का अनुमान है। इस वर्ष 95 प्रतिशत बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। यह खबर किसान समाज के लिए निराशाजनक हो सकती है।
मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मानसून सामान्य से नीचे रहने की उम्मीद है। ऐसा अल नीनो प्रभाव के कारण होगा जिसे आम तौर पर महासागर जल का तापमान बढ़ने से जोड़ा जाता है।
मौसम विभाग ने एक बयान में कहा, 'मानसून की मौसमी वर्षा लंबी अवधि के औसत के रूप में 95 प्रतिशत रहने की संभावना है जिसमें पांच प्रतिशत की घटत बढ़त हो सकती है।' आमतौर पर 90-96 प्रतिशत वर्षा को सामान्य से कम माना जाता है जबकि 96.104 प्रतिशत को सामान्य वर्षा माना जाता है।
वर्ष 2014 के लिए यह पूर्वानुमान ऐसे समय में आया है जबकि देश में लगातार चार साल सामान्य मानसून रहा और बंपर फसल हुई।
पिछले साल मौसम विभाग ने 98 प्रतिशत वर्षा रहने का अनुमान व्यक्त किया था लेकिन देश में 106 प्रतिशत से अधिक वर्षा दर्ज की गई।
कृषि विशेषकर खरीफ फसल जैसे धान, सोयाबीन, कपास, मक्का के लिए मानसून बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में करीब 60 प्रतिशत कृषि भूमि वर्षा जल सिंचित है।