प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को एशिया में आर्थिक व सुरक्षा सहयोग की एक क्षेत्रीय संरचना के निर्माण की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता व दुनिया के कुछ हिस्सों में राजनीतिक उथलपुथल के चलते अब इस तरह की सामूहिक कार्यवाही व सहयोग की तीव्र आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत वित्त पोषण ढांचे के नवीन साधनों पर समान विचार रखने वाले देशों के साथ बातचीत व सहयोग के लिए उत्सुक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए साथ ही साथ मध्यम बुनियादी ढांचे का निर्माण भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भारत इस साल के अंत में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) कनेक्टिविटी कोऑर्डिनेटिंग कमेटी व पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के बीच होने वाली बैठक की ब्रुनेई की पहल का स्वागत करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "क्षेत्रीय सहयोग संरचना के मामले में एशिया ने देर से शुरुआत की है। सबसे पहले आसियान के एकीकरण और फिर व्यापक क्षेत्र में इसके विस्तार को लेकर इसकी अनोखी दृष्टि और नेतृत्व के चलते हम इस सामूहिक यात्रा का हिस्सा रहे हैं।"
ब्रुनेई की राजधानी में आयोजित आठवें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा, "यदि हम आसियान का मार्गदर्शन करने वाले एकता, सहयोग और एकीकरण के सिद्धांतों पर कायम रहते हैं और आसियान अगर पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलनों की प्रक्रियाएं जारी रखता है तो हम सफल होंगे। मैं इस प्रक्रिया में योगदान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराता हूं।"
पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में 10 आसियान देशों व उनके भारत सहित आठ वार्ता सहयोगी शामिल हैं। ईएएस एशिया प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक एवं सुरक्षा वार्ता के एक प्रमुख मंच के रूप में उभरा है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में सामूहिक सक्रियता व सहयोग की इतनी आवश्यकता अब से पहले कभी महसूस नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा, "वैश्विक आर्थिक अस्थिरता व दुनिया के अन्य हिस्सों में राजनीतिक उथलपुथल ने हमारे क्षेत्र के देशों को समान रूप से प्रभावित किया है। इसके अलावा यह विशाल क्षेत्र न केवल अपनी विविधता, बल्कि मतभेदों के चलते भी चुनौतियों का सामना कर रहा है। निश्चित रूप से हमारी जनता की अभूतपूर्व समृद्धि की क्षमता केवल सहयोगी रवैया पैदा कर महसूस की जा सकती है।"
उन्होंने कहा, "मेरे विचार से पूर्व एशिया शिखर वार्ता एक ऐसा मंच है जो सहयोगी ढांचे में हमें सुरक्षा और समृद्धि के हमारे साझे लक्ष्य को अनुभव करने में मदद पहुंचाने की आदर्श जगह है।"
मनमोहन सिंह ने कहा कि यह प्रयास ऊर्जा, खाद्य, स्वास्थ्य और मानव संसाधन विकास से अनिवार्य रूप से लैस रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसलिए भारत खाद्य सुरक्षा पर 8वें पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र को स्वीकार करने का स्वागत करता है।