देश का निर्यात जुलाई में 14.8 प्रतिशत घटकर 22.4 अरब डॉलर पर आ गया। निर्यात में तीन साल में यह सबसे तेज गिरावट है। अमेरिका और यूरोप में मांग सुस्त पड़ने से निर्यात गिरा है।
अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच जुलाई, 2012 में आयात भी 7.61 प्रतिशत घटकर 37.9 अरब डॉलर पर आ गया। इससे समीक्षाधीन माह में व्यापार घाटा 15.4 अरब डॉलर रह गया।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में देश का निर्यात 5.06 प्रतिशत घटकर 97.6 अरब डॉलर रह गया, जबकि इस दौरान आयात 6.47 प्रतिशत घटकर 153.2 अरब डॉलर पर आ गया।
वाणिज्य सचिव एसआर राव ने कहा कि यूरोपीय ऋण संकट से विश्व व्यापार प्रभावित हो रहा है और अमेरिका में भी मांग जोर नहीं पकड़ रही है। उन्होंने कहा, आने वाले दिन कठिन हैं। व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित 360 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।
भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के निदेशक केटी चाको ने कहा, अभी तक के रुख को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए तय निर्यात लक्ष्य हासिल हो पाएंगे, इसको लेकर मुझे संदेह है। चाको ने कहा कि जब तक प्रमुख बाजारों में नरमी हैं, बाजार विविधीकरण से भी भारतीय निर्यातकों को बहुत मदद नहीं मिलेगी। इससे पहले, अगस्त, 2009 में निर्यात में सबसे तेज 23.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।