रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने एनडीटीवी के चेयरमैन डॉ प्रणय रॉय से बात करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बिखरने को लेकर जो आशंकाएं जताई जाती हैं, वह दूर-दूर तक बेमानी हैं। रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने यह बात चेयरमैन डॉ. प्रणय रॉय से बात करते हुए कही।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के मामले में मुद्रास्फीति में हर उतार चढ़ाव के साथ 'आगे पीछे' होने का रवैया नहीं अपना सकता। उन्होंने कहा कि इसके बजाय वह स्थिर निम्न कीमत परिदृश्य का इंतजार करेगा।
राजन ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, 'मैं यही संदेश देना चाहता हूं कि हम कभी एक कदम आगे और कभी एक कदम पीछे वाला रवैया नहीं अपना सकते। इस महीने मुद्रास्फीति दो प्रतिशत रही, इसलिए मैं ब्याज इतना कम कर दूंगा। अरे, अब यह पांच प्रतिशत उछल गई, अब हमें दर बढ़ा देनी चाहिए। क्या कोई केंद्रीय बैंक इस तरीके से चलता है। केंद्रीय बैंक इस तरह से काम नहीं करते।'
डॉ. प्रणोय रॉय से बातचीत में उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक एक विचार बनाता है और अगर हालात में बहुत नाटकीय बदलाव नहीं आए हों तो वह ब्याज दर में नरमी या गरमी की प्रक्रिया को उसी के आधार पर जारी रखता है।
गौरतलब है कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार घट रही है और नवंबर में यह शून्य स्तर पर आ गई जो कि लगभग साढ़े पांच साल में सबसे निचला स्तर है।
राजन ने नीतिगत ब्याज दर (रेपा दर) को जनवरी से ही आठ फीसदी पर अपरिवर्ति रखा हैं। उन्होंने कहा कि देश ने आपूर्ति संबंधी दिक्कतों को पूरी तरह सुलझाया नहीं सका है, इसलिए आने वाले समय में मुद्रास्फीति अधिक होगी।
उन्होंने कहा, 'ऐसा नहीं है कि रिजर्व बैंक वृद्धि के खिलाफ है, यह सतत वृद्धि के पक्ष में है। हमारा क्षितिज कई बार उन लोगों से बड़ा होता है जो कि कटौती की मांग कर रहे हैं। उन्हें अपनी अगली तिमाही के लाभ की चिंता है। हमें अगले साल या उससे आगे यह देखना है कि आप को कितने लाभदायक हैं।' (एजेंसी इनपुट के साथ)