चार साल के अंतराल के बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार 16 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान 2.66 अरब डॉलर बढ़कर 322.135 अरब डॉलर के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ने तथा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम में नरमी से आयात बिल में कमी से मुद्रा भंडार बढ़ा है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार आलोच्य सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 2.66 अरब डॉलर बढ़कर 322.135 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
इससे पहले 2 सितंबर, 2011 को विदेशी मुद्रा भंडार 320.79 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंचा था। फर्स्ट रैंड बैंक में ट्रेजरी प्रमुख हरिहर कृष्णामूर्ति ने कहा, 'विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के मजबूत प्रवाह तथा तेल कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट के कारण आयात बोझ कम होने से मुद्रा भंडार बढ़ा।'
सेंट्रल डिपोजिटरी सर्विसेज द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने इस महीने भारतीय बाजार में अब तक 3,44.23 करोड़ डॉलर लगाया है।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक से जुड़े प्रमुख डीलर के अनुसार, 'निर्यातकों की डॉलर बिकवाली से भी विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा।' विश्लेषकों के अनुसार मुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की लिवाली हो सकती है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार कुल मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां समीक्षाधीन सप्ताह में 2.68 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 297.53 अरब डॉलर रहीं। देश का स्वर्ण भंडार 19.37 अरब डॉलर पर स्थिर रहा।