सरकार की चालू खाते के बढ़ते घाटे पर कम करने के लिए आयात पर नियंत्रण की कोशिश के बावजूद भारत की सोने की खपत जून की तिमाही में बढ़कर 310 टन हो गई, जो पिछले 10 साल का उच्चतम स्तर है। यह बात डब्ल्यूजीसी की रपट में कही गई है।
इसमें से ज्यादातर मांग की आपूर्ति उस भंडार से हुई जो अप्रैल में कीमत में हुई गिरावट के मद्देनजर अच्छा खास तैयार हुआ था। इस साल अप्रैल से जून की तिमाही में आयात दोगुना बढ़कर 338 टन हो गया। सोने की खपत पिछले साल की इसी तिमाही में 181.1 टन रही।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने अपनी ताजा रपट में कहा, इससे दिखता है कि भारतीय उपभोक्ताओं में सोने की भूख जोरदार बनी हुई है। मांग कम करने की सरकार की कोशिश का इस तिमाही के आंकड़े पर बहुत कम असर हुआ। इस दौरान उपभोक्ताओं की सोने की मांग 310 टन सोने की रही, जो पिछले साल के मुकाबले 71 प्रतिशत अधिक है।
डब्ल्यूजीसी इंडिया के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर के मुताबिक, सोने की मांग दूसरी तिमाही में पिछले 10 साल में सबसे अधिक रही। सोने की कीमत में पिछले अप्रैल में गिरावट के कारण जेवरात की मांग इस साल दूसरी में 50 प्रतिशत बढ़कर 188 टन हो गई, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 124 टन थी। समीक्षाधीन अवधि में सोने की छड़ और सिक्के की खपत बढ़कर 122 टन हो गई, जो पिछले साल की इसी अवधि में 56.5 टन थी।
सोना आयात के भुगतान की शर्तों पर मई में प्रतिबंध लगाने और जून की शुरुआत में आयात शुल्क बढ़ाकर आठ प्रतिशत करने से बाजार में अनिश्चितता पैदा हुई, लेकिन इसका मांग पर सीमित असर रहा। भारत सोने का सबसे बड़ा खरीदार है। सरकार चालू खाते के घाटे के दबाव के चलते सोने के आयात पर नियंत्रण लगाने की कोशिश कर रही है। कच्चे तेल के बाद सबसे अधिक आयात खर्च सोने का है। सरकार ने पिछले आठ महीने में तीसरी बार 13 अगस्त को सोने का आयात शुल्क बढ़ाया और इसे आठ प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।