आलू, गेहूं व दलहन और विनिर्मित उत्पादों की कीमत बढ़ने के कारण इस वर्ष अगस्त में मुद्रास्फीति बढ़कर 7.55 फीसद पर पहुंच गई। मुद्रास्फीति का दबाव बढने से भारतीय रिजर्व बैंक के लिए सोमवार को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा करते वक्त नीतिगत ब्याज दर में कटौती करने का निर्णय और कठिन हो सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 6.87 फीसदी और पिछले साल अगस्त में 9.78 फीसदी थी। कुल मिलाकर खाद्य मुद्रास्फीति इस बार जुलाई की तुलना में अगस्त में गिरकर 9.14 फीसदी रही। जुलाई में यह 10.06 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक में खाद्य उत्पादों का योगदान 14.3 फीसदी है।
विनिर्मित उत्पादों के थोक मूल्यों पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त 6.14 फीसदी रही, जबकि एक माह पहले यह 5.58 फीसदी थी। विनिर्मित उत्पादों खंड में सूती कपड़ों, कागत व कागज से बने उत्पादों, सीमेंट और चूने की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। खाद्य उत्पाद वर्ग सालाना आधार पर दालों के दाम अगस्त में 34.39 फीसदी ऊंचे रहे, इसी दौरान गेहूं 12.85 और मोटे अनाज की कीमत 10.71 फीसदी बढ़ी।
इनके अलावा आलू 68.86 फीसदी, जबकि चावल पिछले साल से 10.20 फीसदी मंहगा रहा। अंडे, मांस, मछली की कीमत सालाना आधार पर 13.77 फीसदी बढ़ी, जबकि दूध व फल की कीमत क्रमश: 6.68 फीसदी और 1.14 फीसदी बढ़ी। सब्जियां अगस्त में सालाना आधार पर 9.98 फीसदी मंहगी रहीं। अगस्त के दौरान प्याज की कीमतें एक साल पहले से 20.67 फीसदी कम रहीं।
गैर-खाद्य उत्पादों में तिलहनों की कीमतें 28.33 फीसदी, फाइबर 3.53 और खनिज सालाना स्तर पर 9.74 फीसदी महंगे रहे। इस बीच जून, 2012 की मुद्रास्फीति के संशोधित आंकड़ों के अनुसार उस माह मुद्रास्फीति 7.58 फीसदी रही। प्रारंभिक आंकड़ों में यह 7.25 फीसदी बताया गई थी।