प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) को निर्देश दिया है कि वे अपनी अधिशेष नकदी का या तो निवेश करें या फिर सरकार को अधिक लाभांश दें।
पीएमओ ने कहा है है कि सार्वजनिक उपक्रम यदि अधिशेष राशि का निवेश नहीं करते हैं, तो उन्हें अधिक लाभांश देना चाहिए जिससे इस धन को कहीं और लगाया जा सके तथा वृद्धि और रोजगार को बढ़ावा दिया जा सके।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव ने भारी नकदी पर बैठीं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रमुखों और बिजली, कोयला, इस्पात तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस जैसे विभागों के सचिवों की बैठक में यह संदेश दिया है। उच्चस्तरीय बैठक में मौजूद एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
सूत्र ने बताया कि सीपीएसई से कहा गया है कि वे निवेश की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करें और ऐसे कदम उठाएं जिनसे लक्ष्य, विशेष रूप से चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों के लक्ष्य को पाया जा सके।
सूत्र ने बताया कि जो सार्वजनिक उपक्रम इस लक्ष्य को पाने में विफल रहेंगे उन्हें सरकार को ऊंचा लाभांश देना होगा, जिससे अधिशेष नकदी का इस्तेमाल अन्यत्र किया जा सके और वृद्धि तथा रोजगार को प्रोत्साहन दिया जा सके।
सूत्र ने कहा कि पीएमओ ने सभी संबंधित विभागों के सचिवों को मासिक आधार पर निवेश की प्रगति की निगरानी को कहा है। अब से तीन माह बाद पीएमओ भी इसकी समीक्षा करेगा। बताया जाता है कि भारी नकदी वाले 4-5 सीपीएसई को लताड़ भी लगाई गई है। हालांकि, इन सार्वजनिक उपक्रमों के नाम का खुलासा नहीं किया गया।
औद्योगिक और आर्थिक वृद्धि की सुस्त रफ्तार के बीच केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की क्षमता विस्तार और निवेश योजनाओं की समीक्षा के लिए यह बैठक बुलाई गई थी।
बैठक में कई बड़े सार्वजनिक उपक्रमों एनटीपीसी, पीजीसीआईएल, ऑयल इंडिया, इंडियन आयल कारपोरेशन और एनपीसीआईएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मौजूद थे। देश में कुल 260 सीपीएसई हैं। इनमें से 60 बीमार इकाइयां हैं। कुल 18.2 लाख करोड़ रुपये की आमदनी के साथ 2011-12 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में सीपीएसई का योगदान 34.8 फीसद का था।
सार्वजनिक उपक्रमों के पास 31 मार्च 2012 को 2.8 लाख करोड़ रुपए की नकदी और बैंक जमा थी। इसका निवेश हो जाए तो आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में मदद मिलेगी। वर्ष 2012-13 में देश की औद्योगिक वृद्धि दर मात्र एक प्रतिशत रही। गत मार्च माह में वृद्धि 2.5 प्रतिशत रही।