रिलायंस के केजी बेसिन स्थित डी6 ब्लॉक की भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) द्वारा लेखापरीक्षा को लेकर उत्पन्न मतभेदों के बीच कैग ने कहा है कि वह क्षेत्र के कार्यप्रदर्शन की नहीं बल्कि क्षेत्र में हुए खर्च के औचित्य की जांच करना चाहता है।
लेखापरीक्षा के तौर तरीकों को लेकर मतभेद सामने आने के बाद कैग ने पिछले महीने रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 ब्लॉक का ऑडिट रोक दिया था। बहरहाल, कैग ने अब कहा है कि वह ऑडिट फिर से शुरू करना चाहता है।
कैग ने पेट्रोलियम मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘उसका कंपनी के कामकाज का ऑडिट करने का विचार नहीं है लेकिन उत्पादन भागीदारी अनुबंध में उल्लेखित शर्त के अनुसार केजी-डीडब्ल्यूएन-98:3 केजी-डी6: ब्लाक पर हुए खर्च उससे संबंधित पूरे रिकॉर्ड, व्यय, प्राप्ति की रसीद की जांच करना महत्वपूर्ण है। वह इस ब्लाक पर किए गए खर्च के औचित्य की जांच करना चाहता है।’’
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक चाहता है कि रिकार्ड मांगने का अधिकार सरकार या उसके ऑडिटर के पास हो। वह यह भी चाहता है कि मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि रिलायंस इंडस्ट्रीज सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए।
गत 12 मार्च को कैग की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘बहीखातों की जांच केवल वित्तीय और उसके औचित्य पर होगा।’’ कैग के अनुसार उसके ऑडिट का मकसद सरकार के वित्तीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इससे पहले पेट्रोलियम मंत्रालय ने कैग को पत्र लिखकर सी एण्ड एजी (डीपीसी) कानून की 1971 की धारा 20 के तहत केजी डी6 पर हुए खर्च का वर्ष 2008-09 से लेकर 2011-12 अवधि का ऑडिट करने का आग्रह किया था।