नकदी संकट से जूझ रही विमानन कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस ने गुरुवार को कम्पनी में विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) की ऊपरी सीमा तीन फीसदी निर्धारित कर दी।
कथित तौर पर यह सीमा इसलिए निर्धारित की गई है, ताकि कम्पनी की 46 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी विमानन कम्पनी को बेची जा सके। सरकार ने देश की विमानन कम्पनियों में विदेशी विमानन कम्पनियों की ओर से 49 फीसदी निवेश की अनुमति दी है। इस तरह शेष तीन फीसदी हिस्सेदारी एफआईआई, योग्य विदेशी निवेशक (क्यूएफआई) तथा गैर-रणनीतिक विदेशी निवेशक के पास रहेगी।
सरकार ने हाल ही में विदेशी विमानन कम्पनियों को घरेलू विमानन कम्पनियों में अधिकतम 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी है। इससे पहले सिर्फ एफआईआई या क्यूएफआई को ही घरेलू विमानन कम्पनियों में अधिकतम 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति थी।
किंगफिशर अपनी बदहाली से बाहर निकलने के लिए विदेशी विमानन कम्पनियों से हिस्सेदारी बिक्री के लिए बात कर रही है। जानकार सूत्रों के मुताबिक विदेशी कम्पनी स्वीकृत 49 फीसदी में से अधिकतम हिस्सेदारी खरीदना चाहेगी, क्योंकि यह एक दूरगामी महत्व का फैसला होगा।
कम्पनी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "कम्पनी की पूंजी संरचना को किसी भी भावी सौदे के लिए तैयार रखने के लिए बोर्ड ने यह तय किया है कि एफआईआई, क्यूएफआई तथा अन्य गैर रणनीतिक विदेशी निवेश को वर्तमान तीन फीसदी स्तर से अधिक नहीं होने की मंजूरी नहीं दी जाएगी।"