केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने बुधवार को कहा कि विमानन कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस को उड़ान परमिट का नवीनीकरण करवाने के लिए उड़ान फिर से शुरू करने की योजना के साथ उड्डयन नियामक को भरोसे में लेना होगा।
अजित सिंह ने बुधवार को कहा, "किंगफिशर यदि फिर से उड़ना चाहती है, तो उसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को संतुष्ट करना होगा।"
किंगफिशर एयरलाइंस के उड़ान लाइसेंस की अवधि सोमवार को समाप्त हो गई।
अजित सिंह ने कहा कि कम्पनी पर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज है और उसे 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक का घाटा हो चुका है। कोई भी बैंक उसे कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है।
मंत्री ने कहा कि पूरी तरह बंद होने से कई सम्बंधित पक्षों को नुकसान होगा।
कम्पनी के कई महीने से वेतन नहीं पाने वाले कर्मचारियों के बारे में मंत्री ने कहा, "(मुझे) किंगफिशर के कर्मचारियों से सहानुभूति है।"
कम्पनी के कर्मचारियों की हड़ताल के बाद डीजीसीए ने उसका लाइसेंस निलम्बित कर दिया था। कम्पनी ने 26 दिसम्बर को डीजीसीए को एक प्रस्ताव भेजा था।
अजित सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि प्रस्ताव में यह नहीं बताया गया था कि धन कहां से आएगा।कम्पनी के पास उड़ान लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए दो साल की मोहलत है।
कम्पनी ने कहा कि वह डीजीसीए द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने की प्रक्रिया में है। विमानन कम्पनी की शुरुआत मई 2005 में हुई थी, लेकिन उसे कभी लाभ नहीं हुआ।