थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति लगातार पांचवें महीने मार्च में भी शून्य से नीचे बनी रही। खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों के सस्ता होने से पिछले महीने थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति और गिरकर शून्य से 2.33 प्रतिशत नीचे रही, जो इसका नया रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर है।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में शून्य से 2.06 प्रतिशत नीचे, जनवरी में शून्य से 0.39 प्रतिशत नीचे, दिसंबर में शून्य से 0.50 प्रतिशत नीचे और नवंबर में शून्य से 0.17 प्रतिशत नीचे थी। मार्च, 2014 में थोक मुद्रास्फीति छह प्रतिशत थी।
अपस्फीति की यह स्थिति विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादों में भी स्पष्ट रही। इस वर्ग में मुद्रास्फीति मार्च में शून्य से 0.19 प्रतिशत नीचे रही। खाद्य उत्पादों के वर्ग में भाव बढ़े और इस वर्ग में आलोच्य माह में मुद्रास्फीति 6.31 प्रतिशत रही।
ईंधन तथा बिजली खंड में महंगाई दर शून्य से 12.56 प्रतिशत नीचे कम रही। प्याज, दूध और अंडा, मांस एवं मछली जैसे प्रोटीनयुक्त उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़ी और फल एवं सब्जी की मंहगाई घटी। आलू की कीमत मार्च में एक साल पहले से 20.66 प्रतिशत घटी, जबकि गेहूं का मूल्य भी 1.19 प्रतिशत नीचे रहा। सब्जियों की मुद्रास्फीति मार्च में 9.8 प्रतिशत रही, जबकि फरवरी में यह 15.54 प्रतिशत थी।
जनवरी के संशोधित आंकड़ों के अनुसार उस माह थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 0.95 प्रतिशत रही, जबकि प्रारंभिक अनुमान शून्य से 0.39 प्रतिशत कम था। पिछले सप्ताह जारी खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में तीन महीने के न्यूनतम स्तर 5.17 प्रतिशत पर रही। ऐसा खाद्य मूल्यों में नरमी के कारण हुआ।
मुद्रास्फीति में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन के सकारात्मक आंकड़े से रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती पर विचार करने में आसानी हो सकती है। उद्योग जगत कर्ज सस्ता किए जाने की मांग करता आ रहा है।