औद्योगिक उत्पादन और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखते हुए निवेशकों द्वारा सप्ताह के दौरान सतर्कता बरते जाने की उम्मीद है। इसके अलावा प्रमुख कंपनियों के तीसरी तिमाही कार्यपरिणाम भी बाजार की दिशा तय करते रहेंगे।
सप्ताह के दौरान ओएनजीसी, टाटा पावर, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और भारतीय स्टेट बैंक जैसी प्रमुख कंपनियों के तिमाही परिणाम आने की संभावना है। इसके अलावा मंगलवार को दिसंबर के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) आंकड़े तथा गुरुवार को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आंकड़े पर निवेशकों की नजर होगी।
आदित्य ट्रेडिंग सॉल्यूशंस के संस्थापक विकास जैन ने कहा, इस सप्ताह भारतीय बाजार में सीमित घट-बढ़ हो सकती है, क्योंकि अग्रिम जीडीपी अनुमान में अनापेक्षित गिरावट को देखते हुए निवेशकों द्वारा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक एवं मुद्रास्फीति आंकड़े आने से पहले सतर्कता बरते जाने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि फरवरी में निफ्टी में करीब दो प्रतिशत का तकनीकी सुधार हुआ है और बजट सत्र से पहले और मुनाफावसूली गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं। उन्होंने कहा कि निगमित कंपनियों के कार्यपरिणाम के मौसम में स्टॉक विशेष में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा, लेकिन बाजार की अंतनिर्हित धारणा में मंदी का रुख रहेगा।
बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि एक बार कार्यपरिणामों का मौसम समाप्त हो जाए तो बाजार और निवेशकों की निगाह वर्ष 2013-14 के केंद्रीय बजट से अपेक्षित उम्मीदों पर जा टिकेंगी। बोनान्जा पोर्टफोलियो के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश गोयल ने कहा, कमजोर जीडीपी आंकड़ों ने बाजार की धारणा में मंदी ला दी है, हालांकि वैश्विक बाजार से कोई सकारात्मक संकेत सुधार में मददगार हो सकते हैं। आने वाले सत्रों में निफ्टी और सूचकांक के लिए निकट भविष्य में 5,900 अंक का स्तर महत्वपूर्ण निर्णायक पहलू साबित होंगे। इस अंक से नीचे बाजार में आगे और बिकवाली देखने को मिल सकती है।
सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर पी ओस्तवाल के अनुसार, बजट पेश होने में मुश्किल से दो सप्ताह रह गए हैं। जैसा कि कहा गया था कि 5,950 का स्तर तोड़ने के बाद बाजार ने एक बार फिर से नीचे में 5,900 के स्तर को भी तोड़ा। निफ्टी सोमवार को 5,850 अंक के स्तर को भी छू सकता है। अगर सोमवार को बाजार 5,950 के स्तर को लांघ जाता है, तो यह एक बार फिर से 6,020 अंक के स्तर तक चढ़ सकता है।
सीएसओ के अग्रिम अनुमान के अनुसार देश का आर्थिक विकास दर वर्ष 2012-13 में घटकर दशक के निम्नतम स्तर पांच प्रतिशत रह सकता है। इसका कारण विनिर्माण, कृषि और सेवा क्षेत्रों का प्रदर्शन खराब होना है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने पिछले सप्ताह कहा था कि वर्ष 2011-12 में विकास दर 6.2 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत रह जाएगा, जो भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य एजेंसियों द्वारा व्यक्त अनुमानों से कहीं कम है।