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जल्द ही भारतीय बाजारों में मिलेगी मोजांबिक की दाल, आयात के समझौते पर बनी सहमति

जल्द दी भारतीय मोजांबिक की दाल का स्वाद ले सकेंगे। इस देश से भारत बड़ी मात्रा में दाल आयात करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मोज़ांबिक दौरे के दौरान वहां से दाल के आयात के लिए समझौते पर सहमति बन गई है।
NDTV Profit हिंदीReported by Himanshu Shekhar Mishra, Edited by Suryakant Pathak
NDTV Profit हिंदी08:09 PM IST, 07 Jul 2016NDTV Profit हिंदी
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जल्द दी भारतीय मोजांबिक की दाल का स्वाद ले सकेंगे। इस देश से भारत बड़ी मात्रा में दाल आयात करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मोज़ांबिक दौरे के दौरान वहां से दाल के आयात के लिए समझौते पर सहमति बन गई है।

पीएम मोदी मोजांबिक के दौरे पर
अफ्रीकी देशों के दौरे पर निकले प्रधानमंत्री मोदी अभी मोजांबिक में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, दाल के आयात से मोजांबिक के किसानों को फायदा होगा और भारत की भी जरूरतें पूरी होंगी । उन्होंने यह भी कहा कि जो मोज़ांबिक को चाहिए वह भारत में उपलब्ध।

एक लाख टन अरहर दाल का आयात इसी वर्ष
मोजांबिक से दाल के आयात के लिए समझौते पर सहमति बन गई है। इस समझौते के तहत पहले साल में यानी 2016-17 में भारत मोज़ांबिक से एक लाख टन अरहर दाल आयात करेगा। हर साल आयात में 25,000 टन की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है। 2020-21 तक दो लाख टन अरहर दाल आयात करने की योजना है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर कीमत
समझौते का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, "मोजांबिक से दाल खरीदने के फैसले से भारत को अपनी जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।" तय किया गया है कि दाल की कीमत भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य के बराबर होगी और इसमें लाने-ले जाने का खर्च जोड़कर कीमत तय की जाएगी।

अन्य देशों से भी करार की तैयारी
यह समझौता दाल संकट से जूझ रही मोदी सरकार की नई रणनीति का हिस्सा है। 2015-16 में दाल की पैदावार 1 करोड़ 70 लाख टन थी। इस कमी को दूर करने के लिए करीब 58 लाख टन दाल का आयात करना पड़ा। दरअसल सरकार इस समझौते के ज़रिए भारत में दाल की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय दाल बाजार में दाल की कालाबाज़ारी और जमाखोरी की समस्या से निपटना चाहती है। अब तैयारी दुनिया के दूसरे बड़े दाल उत्पादक देशों के साथ दाल के आयात के लिए ऐसे ही करार करने की है।

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